25 दिनों में 15 सुसाइड अटेम्प्ट, 3 की मौत : वजह- गुटखा खाने से रोका, शराब पीकर झगड़ा किया

गरियाबंद के इंदागांव में बीते 25 दिनों में 15 लोगों ने अपनी सांसे थामने की कोशिश की है. इसमें से 3 की मौत भी हो चुकी है. सवाल ये है कि एक छोटे से गांव में खुदकुशी और इसकी कोशिश के मामले क्यों बढ़ रहे हैं. क्यों यहां के युवाओं में नशे की जानलेवा लत बढ़ रही है...सरकार और सिस्टम हालात का सुधारने के लिए क्या रही है...पेश है इन्हीं सवालों के जवाब ढूंढती रिपोर्ट

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Gariaband Suicide Attempt: गरियाबंद जिले का इंदागांव इन दिनों सुर्खियों में है. यहां बीते 25 दिनों में 15 लोगों ने खुदकुशी की कोशिश की. इसमें से 3 युवाओं की तो मौत भी हो गई. जिसकी वजह से पूरे गांव का माहौल गमगीन है. आप यहां चले आइए तो अधिकांश घरों के आंगन में किसी न किसी की याद का दिया जलता हुआ मिल जाएगा. इसकी वजह ये है कि यहां बीते 5 सालों में 15 लोगों ने मौत को गले लगाया है.

जब आप थोड़ी सी पड़ताल करिए तो आत्महत्या के पीछे छोटी-छोटी वजहें सामने आएंगी. मसलन- किसी को पिता ने गुटखा खाने से रोका तो उसने अपनी जान दे दी...आदि-आदि. लेकिन सवाल ये है कि क्या आत्महत्याओं की बढ़ती संख्या के पीछे मूल वजह क्या है? जानकार बताते हैं कि बेरोजगारी और नशे की दलदल में फंसने की वजह से गांव के लोग सुसाइड कर रहे हैं. चिंता तब और बढ़ जाती है जब सरकारी सिस्टम इन मौतों पर चिंता तो जताता है लेकिन कोई हल नहीं निकालता. पूरे मसले की जमीनी हकीकत पर बात करने से पहले कुछ आंकड़ों पर गौर करिए. 

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गांव में मौत की दस्तक और प्रशासन की चुप्पी!

NDTV की टीम जब गांव पहुंची तो वहां के हालात झकझोरने वाले थे. यहां के युवा रोजगार की तलाश में भटक रहे हैं. रोजगार नहीं मिलने पर वे नशे के आगोश में जा रहे हैं. यहां लगभग हर घर में कहानी एक जैसी ही है...यहां के युवा सुबह जंगल से महुआ, तेंदु पत्ता और चार जैसे वन उपज बटोर लाते हैं. दोपहर को इसे बेचतें और शाम को शराब पीकर घर लौट आते हैं. गांव के ही युवक कमल यादव जिन्होंने खुदकुशी की है उनके पिता गुरुवारु यादव ने बताया बेटे ने कई बार सुसाइड की कोशिश की. वो जब-जब शराब पीकर आता तो खुदकुशी की बात करता. यहां 50 रुपये में ही शराब मिल जाती है. हम सरकार से रोजगार देने की बात करते हैं तो वादे फाइलों में ही गुम हो जाते हैं. 

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गरियाबंद के इंदागांव में 25 दिनों में 15 सुसाइड की कोशिश होने के बाद हड़कंप मचा हुआ है. गांव वालों की मांग है कि यहां नशामुक्ति केन्द्र खोला जाए.

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ग़म, लाचारी और नशे का कहर

NDTV की टीम उन घरों में भी गई जहां बीते 25 दिनों में 3 लोगों ने अपनी जान दे दी. इन तीनों घरों में हमें हालात एक जैसे ही मिले. सबसे पहले हम पहुंचे राजेन्द्र यादव के घर. पता चला कि राजेन्द्र यादव के पिता बेरोजगार थे और रोज शराब पीकर घर में झगड़ा करते थे. जिस दिन राजेन्द्र ने फांसी लगाई उस दिन भी उसका पिता से झगड़ा हुआ था. पड़ोसियों का दावा है कि इसी वजह से गुस्से में राजेन्द्र ने अपनी जान दे दी. इसके बाद हम पहुंच कमल के घर. वहां पता चला कि 20 साल के कमल को पिता हमेशा गुटखा खाने से रोकते थे. इसी रोक-टोक से नाराज होकर उसने फांसी लगा ली. तीसरे युवक चंद्रशेखर यादव की कहानी भी कुछ ऐसी ही थी.चंद्रशेखर भी नशे का आदि था और अपने दोस्त कमल यादव की मौत से सदमे में था. इसी हालात में उसने भी अपनी जिंदगी खत्म कर दी.खास बात ये है कि तीनों ही मामले में कॉमन वजह बेरोजगारी ही है. 

सरकार की ओर से नहीं हुई पहल

गांव वालों ने बताया कि पिछले 18 दिन में 3 मौतें तो हो चुकी हैं जिसे सभी जगह बताया जा रहा है लेकिन पिछले 5 सालों में हमने ऐसी ही 15 मौतें देखी हैं. इसमें से अधिकांश ने फांसी लगाकर अपनी जिंदगी खत्म कर ली. बीते 5 सालों से हमारे गांव में किसी तरह का कोई वैलनेस सेंटर नशा मुक्ति केन्द्र या योगाभ्यास केन्द्र जैसी कोई चीज नहीं खुली. न ही सरकार ने कोई मदद मुहैया कराई. इसके चलते बच्चे मानसिक अवसाद में जा रहे हैं और शराब जैसी चीजों का सेवन कर रहे हैं. गांव के पूर्व सरपंच और वर्तमान सरपंच के पति ने बताया कि अब हम खुद ही रात को जाग कर पहरा दे रहे हैं और बच्चों की रखवाली कर रहे हैं. गांव वालों ने कोटवार से ऐलान कराया है कि अब गांव में नशा नहीं चलेगा. अब सवाल यह है कि प्रशासन ठोस कदम कब उठाएगा? क्या समय रहते इन हालातों को सुधारा जाएगा, या फिर यह सिलसिला यूं ही जारी रहेगा? 

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