छत्तीसगढ़ में वन में हुई वृद्धि, सीएम साय ने कहा- राज्य में वन क्षेत्र 44 से 46 प्रतिशत हुआ 

छत्तीसगढ़ में वन क्षेत्र 44% से बढ़कर 46% हो गया है. मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने बताया कि राज्य हरित अर्थव्यवस्था की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है. बैठक में तेंदूपत्ता संग्राहकों, लघु वनोपज, औषधीय पौधों की खेती और ईको-टूरिज्म को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins

Chhattisgarh Forest Cover Increase: छत्तीसगढ़ राज्य ने पर्यावरण संरक्षण और हरित विकास की दिशा में एक नई उपलब्धि हासिल की है. राज्य में वन क्षेत्र अब 44 प्रतिशत से बढ़कर 46 प्रतिशत हो गया है. यह बढ़ोतरी न सिर्फ राज्य की हरियाली को बढ़ाती है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था और आजीविका के नए अवसर भी खोलती है. ये जानकारी प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने दी. 

दरअसल, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में मंत्रालय में कलेक्टर और डीएफओ की संयुक्त कॉन्फ्रेंस आयोजित हुई. इस बैठक में वन प्रबंधन, तेंदूपत्ता संग्राहकों के हित, लघु वनोपजों के मूल्य संवर्द्धन, ईको-टूरिज्म और औषधीय पौधों की खेती जैसे विषयों पर विस्तार से चर्चा हुई. मुख्यमंत्री ने कहा कि ये सभी प्रयास छत्तीसगढ़ को हरित अर्थव्यवस्था की दिशा में तेजी से आगे बढ़ा रहे हैं.

तेंदूपत्ता संग्राहकों की बढ़ी आत्मनिर्भरता

मुख्यमंत्री साय ने बताया कि आज छत्तीसगढ़ के 12 लाख से अधिक तेंदूपत्ता संग्राहक आत्मनिर्भर बन रहे हैं. उन्होंने इसे सामूहिक प्रयासों का परिणाम बताया और कहा कि अब समय आ गया है कि वन उपजों का अधिकतम “वैल्यू एडिशन” किया जाए. इसके लिए राज्य में “वन धन केंद्रों” की संख्या बढ़ाने और लघु वनोपज आधारित स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने की जरूरत है.

ग्रामीणों के लिए अधिक आय के अवसर

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि ग्रामीणों को अधिक आय के अवसर उपलब्ध कराए जाएं और भुगतान की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी व समयबद्ध हो. उन्होंने कहा कि तेंदूपत्ता संग्राहकों को भुगतान 7 से 15 दिनों के भीतर किया जाए और उन्हें एसएमएस के माध्यम से इसकी जानकारी दी जाए.

Advertisement

“एक पेड़ मां के नाम” और कैम्पा योजना की सराहना

बैठक में यह जानकारी दी गई कि राज्य का वन आवरण अब 46 प्रतिशत हो चुका है, जो पिछले वर्षों की तुलना में करीब 2 प्रतिशत की वृद्धि है. मुख्यमंत्री ने “एक पेड़ मां के नाम” और “कैम्पा योजना” जैसी पहलों की सराहना की और कहा कि छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ हरित अर्थव्यवस्था की ओर तेज़ी से अग्रसर है.

औषधीय पौधों की खेती को मिलेगा बढ़ावा

कॉन्फ्रेंस में औषधीय पौधों की खेती को कृषि और उद्यानिकी विभागों के सहयोग से बढ़ाने पर भी चर्चा हुई. मुख्यमंत्री ने कहा कि यह न केवल ग्रामीण आय में वृद्धि करेगा, बल्कि पारंपरिक उपचार पद्धतियों के ज्ञान को भी मजबूत बनाएगा.

Advertisement

ईको-टूरिज्म से जुड़ेंगे रोजगार के अवसर

वन मंत्री केदार कश्यप ने बताया कि बस्तर और सरगुजा संभागों में ईको-टूरिज्म को बढ़ावा देने की रणनीति तैयार की जा रही है. उन्होंने कहा कि यह योजना न सिर्फ पर्यटकों को आकर्षित करेगी, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए रास्ते भी खोलेगी.

ये भी पढ़ें- Sanwer Accident: सांवेर में ट्रैक्टर-ट्रॉली पलटने से 25-27 मजदूर घायल, 3 की मौत

लघु वनोपजों की खरीदी से मजबूत होगी अर्थव्यवस्था

वन मंत्री ने यह भी बताया कि राज्य सरकार अब 75 प्रकार की लघु वनोपजों की खरीदी करने जा रही है. इससे ग्रामीणों की आमदनी बढ़ेगी और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी. साथ ही, लाख उत्पादन में छत्तीसगढ़ देश का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है और योजनाबद्ध कार्य से जल्द ही पहला स्थान भी हासिल कर सकता है. 

Advertisement

ये भी पढ़ें- छत्तीसगढ़ में 'एक दिन के CM' पर घमासान: चंद्राकर के तंज पर टीएस बाबा बोले- 'आपके घर ही लूंगा शपथ'