Chhattisgarh Politics News: छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) ने शनिवार को राज्य की जांच एजेंसियों EOW और ACB पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि इन एजेंसियों ने न्यायिक प्रक्रिया की मर्यादा को तोड़ते हुए अभियुक्तों के खिलाफ झूठे साक्ष्य और बयान गढ़े हैं. बघेल ने कहा, “रायपुर की कुछ अदालतें EOW और ACB से मिलकर न्याय की पवित्र प्रक्रिया पर दाग लगा रही हैं. अगर इस तरह के षड्यंत्र चलते रहे, तो लोकतंत्र का ढांचा ही चरमरा जाएगा.” उन्होंने इसे लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा बताया और मांग की कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए.
भूपेश बघेल ने बताया कि सीआरपीसी की धारा 164, जो अब BNS की धारा 183 के रूप में लागू है. इसके तहत मजिस्ट्रेट के सामने अभियुक्तों के बयान कलमबद्ध किए जाते हैं और यह बयान पूरी तरह गोपनीय माने जाते हैं. लेकिन ईओडब्ल्यू और एसीबी ने इस प्रक्रिया को दरकिनार करते हुए पहले से टाइप किए गए बयान को पेन ड्राइव में अदालत में पेश किया, जिसे अभियुक्त का वास्तविक बयान बताया गया. उन्होंने कहा कि “यह न्यायिक प्रक्रिया का घोर उल्लंघन और आपराधिक कृत्य है.” इस घटना से ये अदालत और जांच एजेंसी की सांठगाठ भी जाहिर होती है.
जांच एजेंसियां भी कटघरे में
पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि यह षड्यंत्र कोयला घोटाले के आरोपी सूर्यकांत तिवारी की जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान सामने आया. सुप्रीम कोर्ट में तिवारी के खिलाफ जो दस्तावेज लगाए गए, उनमें एक सह आरोपी निखिल चंद्राकर का बयान धारा 164 के तहत शामिल किया गया था. बघेल ने कहा कि यह बयान सीलबंद रहना चाहिए था, लेकिन वह खुले रूप से अदालत में पेश किया गया, जो न्याय की मूल भावना पर सवाल उठाता है.
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बघेल में हेराफेरी को किया उजागर
बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने साफ निर्देश दिए हैं कि अदालत की ओर से तैयार किए जाने वाले दस्तावेजों का फॉन्ट एक समान होगा, लेकिन ईओडब्ल्यू की ओर से प्रस्तुत बयान के दस्तावेजों का फॉन्ट अलग पाया गया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि बयान में हेराफेरी की गई है. उन्होंने बताया कि 30 सितंबर 2025 को रायपुर कोर्ट में दो अलग-अलग मामलों में अभियुक्तों के बयान लिए जा रहे थे, जहां कंप्यूटर में एक ही पेन ड्राइव लगी थी और उसी बयान पर अभियुक्त सिर हिलाकर हामी भर रहे थे. इस पर तीन वरिष्ठ वकीलों ने DJ कोर्ट में शिकायत दर्ज करवाई थी.
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