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This Article is From Jul 11, 2023

जांजगीर-चांपा: अपने इस जिले की वजह से ही धान का कटोरा कहलाता है छत्तीसगढ़

जांजगीर-चांपा जिले का मुख्यालय जांजगीर है. ये नगर छत्तीसगढ़ के कलचुरी वंश के महाराजा जाज्वल्य देव की नगरी है. इसके अलावा जिले में मौजूद विष्णु मंदिर बेहद मशहूर है, इसे 11वीं शताब्दी में बनाया गया था.

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जांजगीर-चांपा: अपने इस जिले की वजह से ही धान का कटोरा कहलाता है छत्तीसगढ़

देश का एक छोटा सा राज्य छत्तीसगढ़, जिसे धान का कटोरा भी कहा जाता है. छत्तीसगढ़ अगर धान का कटोरा है तो कटोरे में पड़े धान का एक अहम हिस्सा आता है, छत्तीसगढ़ के जिला जांजगीर-चांपा से. जांजगीर-चांपा को छत्तीसगढ़ का ‘दिल' भी कहा जाता है, क्योंकि ये सूबे के बीचों बीच बसा एक खूबसूरत क्षेत्र है. ये जिला 25 मई 1998 को अस्तित्व में आया. ये न केवल धान उत्पादन के मामले में आगे है, बल्कि इसकी सांस्कृतिक विरासत भी इसे अहम बनाती है. जांजगीर-चांपा जिले का मुख्यालय जांजगीर है. ये नगर छत्तीसगढ़ के कलचुरी वंश के महाराजा जाज्वल्य देव की नगरी है. इसके अलावा जिले में मौजूद विष्णु मंदिर बेहद मशहूर है, इसे 11वीं शताब्दी में बनाया गया था.

धान की पैदावार में अव्वल

जांजगीर चांपा, छत्तीसगढ़ का प्रमुख धान उत्पादक जिला है. साल 2022-23 के आंकड़ों के अनुसार सरकार ने इस जिले से 4 लाख 80 हजार मीट्रिक टन धान की खरीदी की थी. धान बेचने के लिए करीब 1 लाख 20 हजार किसानों ने जिला प्रशासन के पास रजिस्ट्रेशन करवाया था. हसदेव नदी यहां की प्रमुख नदी है. हसदेव मिनीमाता परियोजना से इस जिले के तीन चौथाई कृषि क्षेत्र की सिंचाई होती है. यहां का मुख्य व्यवसाय खेती होने के कारण इसे किसानों की नगरी के रूप में भी पहचाना जाता है. 

कोसा सिल्क के लिए भी हैं चांपा की पहचान

धान के अलावा किसी चीज के लिए चांपा को पहचाना जाता है तो वो हैं कोसा सिल्क.यहां का कोसा सिल्क अपने खास तरह के टेक्सचर के लिए पूरी दुनिया में पहचाना जाता है. यहां का कोसा सिल्क काफी सॉफ्ट और उच्च गुणवत्ता का माना जाता है. विदेशों में भी यहां के कोसा सिल्क से बने कपड़ों की काफी मांग है. छत्तीसगढ़ में पर्यटन में बढ़ोतरी के साथ-साथ इस सिल्क की मांग भी बढ़ती जा रही है, इसलिए इसका विदेशों में निर्यात भी बढ़ता जा रहा है.

कलचुरी काल का सैकड़ों साल पुराना विष्णु मंदिर

छत्तीसगढ़ के कलचुरी शासक महाराजा जाज्वल्य देव ने 11वीं शताब्दी में यहां भगवान विष्णु के भव्य मंदिर का निर्माण कराया गया. यह मंदिर जांजगीर की पुरानी बस्ती के भीमा तालाब के पास स्थित है. मंदिर में त्रिमूर्ति ब्रह्मा, विष्णु और महेश की मूर्ति स्थापित है. ठीक इसके ऊपर गरुड़ पर विराजे भगवान विष्णु की मूर्ति भी स्थापित है. इस मंदिर से जुड़ी एक खास बात ये है कि इसका निर्माण कभी पूरा नहीं हो सका. इस मंदिर को दो अलग-अलग भागों में बनाना शुरू किया गया था और दोनों को एक साथ मिलाने की योजना थी. लेकिन मंदिर के दोनों भाग को मिलाने का काम कभी पूरा नहीं हो पाया. चूंकि मंदिर अधूरा ही रह गया, इसलिए स्थानीय लोग इसे नक्टा मंदिर भी कहते हैं. मंदिर की दीवारों पर सूर्य देव के साथ कई देवी-देवताओं और गंधर्वों की मूर्तियां बनी हैं. विष्णु मंदिर के अलावा महानदी के तट पर स्थित शिवरी नारायण मंदिर भी इतिहास से जुड़ा है, जिसे हैहय वंश के राजाओं ने 11वीं शताब्दी में बनवाया था.


जांजगीर-चांपा जिला एक नजर में-

  • क्षेत्रफल: 237559 हेक्टेयर
  • जनसंख्या: 972453
  • साक्षरता दर: 73.07%
  • विधानसभा क्षेत्र:5
  • तहसील : 9
  • विकासखण्ड: 05
  • ग्राम: 336
  • नगरीय निकाय :9
  • पुलिस स्टेशन: 12
     

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