सहकारी समिति हड़ताल: पूर्व सीएम भूपेश बघेल हुए शामिल, कर्मचारियों ने दिया सामूहिक इस्तीफा

छत्तीसगढ़ में Chhattisgarh cooperative strike तेज हो गई है, जहां कर्मचारियों ने सामूहिक इस्तीफा देकर बड़ा संदेश दिया. Bhupesh Baghel protest में शामिल होकर पूर्व सीएम ने कर्मचारियों की मांगों को सही बताया. Paddy procurement issue और ऑपरेटरों की सेवा अवधि घटाने को लेकर विवाद बढ़ रहा है.

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Chhattisgarh Cooperative Strike: छत्तीसगढ़ में सहकारी समिति के कर्मचारियों की हड़ताल एक बड़े मोड़ पर पहुंच गई, जब प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया. इस आंदोलन को मजबूत समर्थन तब मिला, जब पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी धरने पर पहुंचे और कर्मचारियों की मांगों को पूरी तरह जायज बताते हुए सरकार पर निशाना साधा.

दरअसल, सहकारी समितियों के कर्मचारी और अधिकारी अपनी चार सूत्री मांगों को लेकर पिछले 14 दिनों से लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. दुर्ग संभाग के सभी जिलों से करीब 1500 से अधिक कर्मचारी इस आंदोलन का हिस्सा बने. इतने बड़े पैमाने पर जुटे कर्मचारियों ने सोमवार को सामूहिक रूप से अपना इस्तीफा सौंप दिया.

भूपेश बघेल और कांग्रेस विधायकों का समर्थन

कर्मचारियों के आंदोलन को मजबूती देने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कांग्रेस के कई विधायक भी धरना स्थल पहुंचे. बघेल ने कहा कि कर्मचारियों की मांगें बिल्कुल वाजिब हैं और सरकार को उनकी बात गंभीरता से सुननी चाहिए.

ऑपरेटरों की सेवा अवधि घटाने पर नाराजगी

भूपेश बघेल ने कहा कि उनकी सरकार ने कंप्यूटर ऑपरेटरों की सेवा अवधि 9 महीने से बढ़ाकर 12 महीने की थी, लेकिन वर्तमान सरकार ने इसे घटाकर फिर 6 महीने कर दिया है. उन्होंने इसे “तुगलकी फरमान” बताते हुए कहा कि इससे न केवल कर्मचारियों का भविष्य प्रभावित होगा, बल्कि समितियों के कामकाज पर भी असर पड़ेगा.

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किसानों की मुश्किलें बढ़ने का आरोप

बघेल ने चेतावनी देते हुए कहा कि धान खरीदी का समय है और किसान अपनी फसल जमा करने की तैयारी कर रहे हैं. ऐसे में पंजीयन अनिवार्य किए जाने के निर्णय से हजारों किसान प्रक्रिया से बाहर हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि अगर इसी तरह के निर्णय लागू रहे, तो लाखों हेक्टेयर धान बेचने से छूट सकता है, जिससे किसानों को बड़ा नुकसान होगा.

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‘सुखद' रिकवरी पर भी जताई चिंता

पूर्व मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि यदि ‘सुखद' मामले की रिकवरी सहकारी समितियों से की गई, तो पूरी सहकारिता व्यवस्था ही चरमरा जाएगी. उन्होंने सरकार के निर्णयों को कर्मचारियों और किसानों, दोनों के लिए हानिकारक बताया.

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सरकार एक्शन मोड में, कई पदाधिकारी बर्खास्त

इधर सरकार भी इस मसले पर सख्त रुख अपनाती दिखाई दे रही है. जानकारी के मुताबिक, संगठन का प्रतिनिधित्व करने वाले कई लोगों को बर्खास्त कर दिया गया है. हालांकि संगठन के सदस्यों का कहना है कि जब तक उनकी चार सूत्री मांगें पूरी नहीं होतीं, आंदोलन जारी रहेगा.

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धान खरीदी प्रक्रिया प्रभावित न हो

इस बीच, राज्य में 15 नवंबर से धान खरीदी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. हड़ताल के कारण कामकाज बाधित न हो, इसके लिए प्रशासन ने अलग-अलग विभागों के कर्मचारियों और अधिकारियों को इस प्रक्रिया में लगाया है, ताकि खरीद व्यवस्था सुचारू बनी रहे.