छठ के बीच बिहार के छात्र का शव GGV विवि के तालाब में मिला, पिता बोले- उसने सुसाइड नहीं की, सिर पर चोट के निशान

Bihar Student Death: अर्सलान के परिवार का कहना है कि यह मामला आत्महत्या का नहीं बल्कि संदिग्ध मौत का है. उनका आरोप है कि अगर यूनिवर्सिटी और पुलिस समय रहते गंभीरता दिखाते तो अर्सलान को बचाया जा सकता था.

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Bihar Student Death In Bilaspur: बिलासपुर की गुरु घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी (जीजीयू) में पढ़ने वाले बीएससी फिजिक्स के छात्र अर्सलान अंसारी की लाश यूनिवर्सिटी कैंपस के तालाब में मिली.वह 21 अक्टूबर से लापता था. सिम्स मर्च्युरी में उसके पिता अर्शद अय्यूब अंसारी ने शव की पहचान की. शव की हालत बेहद खराब थी, जिसे देखकर पिता बिलख पड़े. 

अर्सलान बिहार के सारण जिले का रहने वाला था. उसके पिता ने कहा कि वह पढ़ाई में बहुत अच्छा था और मानसिक रूप से बिल्कुल ठीक था. उन्होंने आरोप लगाया कि यूनिवर्सिटी प्रशासन ने शुरुआत से लापरवाही की और इस मौत के लिए कुलपति आलोक चक्रवाल, कुलसचिव एएस रणदीवे, हॉस्टल वार्डन और पूरा प्रशासन जिम्मेदार है.

21 अक्टूबर से लापता, 24 को मिला शव

परिवार के मुताबिक, अर्सलान के लापता होने की खबर यूनिवर्सिटी को 21 अक्टूबर को दी गई थी, लेकिन किसी ने उसे खोजने की कोशिश नहीं की. 24 अक्टूबर को कैंपस के तालाब में एक शव मिला.  परिवार को शक हुआ कि वो अर्सलान हो सकता है. शव काफी सड़ चुका था, जिससे पहचान मुश्किल थी. रविवार को जब पिता बिलासपुर पहुंचे, तब उन्होंने सिम्स में उसकी शिनाख्त की, इसके बाद पोस्टमार्टम कराया गया. परिजनों ने बताया कि जब वे एफआईआर दर्ज करवाने गए, तो पुलिस ने रिपोर्ट लिखने से इनकार कर दिया. इसके बाद उन्होंने कोनी थाने में कुलपति, कुलसचिव और वार्डन के खिलाफ लिखित शिकायत दी. परिवार का कहना है कि यूनिवर्सिटी अब इस मामले को दबाने में लगी है. पोस्टमार्टम के बाद वे अर्सलान का शव लेकर बिहार लौट गए.

भाई ने लगाया बंधक बनाकर रखने का आरोप

अर्सलान के भाई गौहर अंसारी ने बताया कि जब वह भोपाल से बिलासपुर पहुंचा तो यूनिवर्सिटी के कुछ कर्मचारी उसे सिम्स में शव दिखाने के बाद गेस्ट हाउस ले गए.मुझे किसी से मिलने नहीं दिया गया, न बाहर निकलने दिया गया. रात करीब आठ बजे जाकर मुझे जाने की अनुमति मिली. उनका आरोप है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन पूरे समय उन्हें सच्चाई से दूर रखता रहा.

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सिर पर चोट के निशान, रिपोर्ट का इंतजार

पोस्टमार्टम में शामिल डॉक्टरों ने बताया कि शव 5 से 6 दिन पुराना था. पानी में डूबे रहने से हालत खराब थी. शरीर पर कट या चोट के निशान साफ नहीं दिख रहे थे, लेकिन सिर की हड्डी पर चोट के निशान मिले हैं. डॉक्टरों का कहना है कि यह चोट या तो किसी ठोस चीज से लगी हो सकती है या तालाब में पत्थर से टकराने से. फिलहाल विसरा जांच के लिए सैंपल सुरक्षित रखे गए हैं.

परिजनों की मांग- दोषियों पर कार्रवाई हो

अर्सलान के परिवार का कहना है कि यह मामला आत्महत्या का नहीं बल्कि संदिग्ध मौत का है. उनका आरोप है कि अगर यूनिवर्सिटी और पुलिस समय रहते गंभीरता दिखाते तो अर्सलान को बचाया जा सकता था. अब परिजन चाहते हैं कि मामले की निष्पक्ष जांच हो और जिम्मेदार लोगों पर सख्त कार्रवाई की जाए.

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