Chhattisgarh: गरियाबंद समेत तीन जिले में दंतैल हाथी का आतंक, वन विभाग ने जारी किया अलर्ट

CG News: छत्तीसगढ़ के गरियाबंद, धमतरी और महासमुंद जिले में दंतैल हाथी का आतंक बना हुआ है. वन विभाग ने अलर्ट जारी करते हुए ग्रामीणों को जंगल में नहीं जाने की हिदायत दी है.

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दंतैल हाथी यहां लगातार विचरण कर रहा है.

Terror of Tusked Elephant in Gariaband: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के गरियाबंद जिले (Gariaband) में दंतैल हाथी (Tusked Elephant) पहुंचा हुआ है, जो कि धान की फसलों को लगातार नुकसान पहुंचा रहा है. बताया जा रहा है कि यह हाथी दल (Elephant Group) से बिछड़ने और अकेले होने के चलते काफी खतरनाक हो गया है. पिछले महीने यह हाथी धमतरी जिले (Dhamtari) में एक महिला को मौत के घाट उतार चुका है. धमतरी से निकल कर अब यह कुछ दिनों पहले गरियाबंद जिले की सीमा को पार कर महासमुंद पहुंचा था.

रविवार देर रात फिर यह हाथी महासमुंद जिले (Mahasamund) की बघनिह नदी को पार कर गरियाबंद जिले में पहुंचा है. जानकारी के मुताबिक, यह हाथी रातभर में 50 से 60 किलोमीटर का सफर तय कर दूसरे जिले में पहुंच जाता है. दंतैल हाथी के आने से जिले के 20 से अधिक गांवों में अलर्ट जारी किया गया है. यह हाथी गरियाबंद, धमतरी और महासमुन्द जिले में अकेले विचरण कर रहा है. 

विभाग ने जारी किया अलर्ट

हाथी की मौजूदगी के बाद वन विभाग ने कई गांवों में अलर्ट जारी कर दिया है. विभाग ने बम्हनदेंही, नाचनबाय, गुण्डरदेही, तरजुंगा, बनंगवा, करपी, लोहझर, सोरिद खुर्द, नागझर, सरकंडा बोरिद, खुड़सा, सिलयारी, बाहरा, गनियारी और फुलझर समेत दर्जनों गांवों में अलर्ट जारी किया है. वन विभाग ने ग्रामीणों को जंगल की ओर न जाने की हिदायत दी है. इसके साथ ही वन विभाग हाथी को लगातार ट्रैक कर रहा है.

बार-बार क्यों आते हैं हाथी?

गरियाबंद, धमतरी और महासमुंद, तीनों ही जिले में धान की बंपर फसल की पैदावार होती है. धान जो कि हाथियों का प्रिय भोजन है, इसके अलावा हाथियों को महुआ भी काफी ज्यादा पसंद है इसलिए यह क्षेत्र धीरे-धीरे हाथियों के लिए अनुकूल होते जा रहा है. इन क्षेत्रों में नदी-नाले और तालाब भी काफी संख्या में पाए जाते हैं, जिसके चलते हाथी अब इन क्षेत्रों के अनुकूल होने लगे हैं और इन्हीं क्षेत्रों में विचरण करते रहते हैं.

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हाथियों का अलग-अलग होता है भोजन

उदंती सीता नदी अभ्यारण क्षेत्र के उपनिदेशक वरुण जैन ने बताया कि शहरों और अभ्यारण के अंदर रहने वाले हाथियों का खान-पान, आदत और शैली सभी में काफी फर्क रहता है. वर्तमान में सीकासेर शहर के जंगलों में 35 से 40 की संख्या में हाथियों का दल अभ्यारण के अंदर विचरण कर रहा है. अभ्यारण में रहने वाले हाथी फसलों और मकान को काफी कम नुकसान पहुंचाते हैं. शहरी क्षेत्र में विचरण करने वाले हाथियों का प्रिय भोजन धान और महुआ है. जिसके चलते वह इन क्षेत्रों में लगातार विचरण कर रहे हैं. 

वहीं अभ्यारण में विचरण करने वाले हाथी साल वृक्ष की जड़, भेलवा वृक्ष की जड़, मोयन वृक्ष की जड़ एवं छाल, बारगा की छाल को खाते हैं. अभ्यारण में विचरण करने वाले हाथी शहरी हाथियों के मुकाबले काफी शांत स्वभाव के होते हैं.

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