CG News: आरक्षण की मांग को लेकर धरने पर बैठा मछुआरा समाज, मांगे नहीं मानने पर चुनाव में नतीजा भुगतने की दी धमकी

Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में चुनाव नजदीक आते ही अलग-अलग समाज ने अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन तेज कर दिया है. इसी कड़ी में एससी आरक्षण के लिए मछुआरा समाज ने गुरुवार को प्रदर्शन किया. इस दौरान मांगे नहीं मानने पर चुनाव में नतीजा भुगतने की चेतावनी भी दी गई.

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धमतरी:

Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में चुनावी रणभेरी बज चुकी है. ऐसे में सभी जाति और समाज के लोगों ने अपनी मांगे मनवाने के लिए अपनी ताकत दिखानी शुरू कर दी है. इसी कड़ी में सूबे का मछुआरा समाज ने भी आरक्षण के लिए जद्दोजहद तेज कर दी है. इसी कड़ी में गुरुवार को धमतरी के गांधी मैदान में मछुआरा समाज ने प्रदेश स्तरीय धरना शुरू कर दिया. इन लोगों की मुख्य मांग मछुआरा समाज और धीवर जैसे पिछड़े समाज को अनुसूचित जनजाति वर्ग में दोबारा शामिल कराना है. इन लोगों का कहना है कि जनसंख्या के अनुपात में राजनीतिक भागीदारी एवं सरकारी नौकरियां एवं शिक्षा में आरक्षण तत्काल लागू किया जाए. 

राजनीतिक पार्टियों पर लगाया वादा खिलाफी का आरोप


इस धरने में बड़ी संख्या में ग्रामीण शामिल हुए. इस दौरान ये लोग आरक्षण की मांग को लेकर नारे लगाते रहे. इन लोगों भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों पर समाज को छलने का आरोप लगाया.  इन लोगों ने आरोप लगाया कि भाजपा और कांग्रेस दोनों  ही राजनीतिक दलों ने बार-बार मछुआरा समाज को झूठा आश्वासन देकर समाज का वोट लिया, लेकिन सत्ता में आने के बाद उन्हें भुला दिया गया. इससे छत्तीसगढ़ के 35 लाख मछुआरा समाज में बेहद आक्रोश है.

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75 सालों से मछुआरा सामुदा है संघर्षरत 


मछुआरा समाज के लोगों ने कहा कि मछुआरा मांझी समुदाय के तहत आने वाले धीवर, निषाद, केवट, कहार, मल्लाह, भोई एवं अन्य समानार्थी जनजातियों को वर्ष 1950 तक अनुसूचित जनजाति वर्ग में रखा गया था, जिसका प्रमाण शासन के राजपत्रों में अब भी मौजूद है. लेकिन 1950 के बाद मछुआरा समुदाय के समस्त जनजातियों को अन्य पिछड़ा वर्ग की श्रेणी में डालकर उन्हें आरक्षण से वंचित कर दिया गया. इसके बाद से ही इस आरक्षण को फिर से बहाली की मांग को लेकर बीते 75 सालों से मछुआरा सामुदायिक संघर्षरत है. इस दौरान मछुआरा समाज ने यह भी कहा कि लगातार समाज की ओर से धरना प्रदर्शन के जरिए सरकार को जगाने की कोशिश की जा रही है, लेकिन सरकार उनकी मांगों को नजरअंदाज करती आ रही है. प्रदर्शनकारियों चेतावनी दी कि अगर सरकार उनकी मांगे नहीं मानेगी, तो आने वाले चुनाव में इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है. 

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