Chhattisgarh Ration News: छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर (Manendragarh-Chirmiri-Bharatpur) यानी एमसीबी (MCB) जिले के कुछ इलाके आज डिजिटल इंडिया (Digital India) और 5G कनेक्टिविटी (5G Connectivity) या 5जी नेटवर्क (5G Network) के दौर में विकास से अछूता है. एमसीबी जिले के सोनहत विकासखंड में बसे गांव में आजादी (After Independence) के बाद से ग्रामीण मोबाइल नेटवर्क की समस्या (Network Problem) से जूझ रहे हैं. गांव में कहीं भी मोबाइल नेटवर्क (Mobile Network) नहीं आता. महंगे मोबाइल फोन (Smartphone) भी नेटवर्क के बिना ऐसे ही पड़े रहते हैं. हालांकि ग्रामीण युवाओं ने इस समस्या का कुछ समाधान निकाला है, लेकिन गांव को विकास से जोड़ने के लिए यहां पर्याप्त नेटवर्क की व्यवस्था करना जरूरी है.
जुगाड़ से बनाया लकड़ी टावर
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) प्रदेश की पहली विधानसभा भरतपुर सोनहत के सोनहत विकासखण्ड के लगभग एक दर्जन से ज्यादा गांव मोबाइल नेटवर्क की समस्या से जूझ रहे हैं. इनमें से कुछ गांवों के युवाओं ने डिजिटल इंडिया में प्रवेश करने के लिए जुगाड़ तंत्र से लकड़ी का मोबाइल टावर (Mobile Tower) बनाया है. इसमें मोबाइल रखते ही मोबाइल पर बात करने लायक नेटवर्क आ जाता है, लेकिन नेट (Mobile Data) नहीं चलता. पहाड़ी क्षेत्र में बसे ये गांव दशकों से मोबाइल नेटवर्क समस्या से जूझ रहे हैं.
गांव में नेटवर्क ना होने के कारण यहां के हर ग्रामीण को इस समस्या से जूझना पड़ रहा है. गांव के युवाओं ने इस समस्या से निजात पाने के लिए कुछ हद तक समाधान खोजा है. दरअसल गांव में जगह-जगह पर लकड़ी के स्ट्रक्चर से हैंडमेड मोबाइल टावर बनाया गया है. गांव में भले ही नेटवर्क ना हो पर मोबाइल फोन को इस टावर के पास लाने से उसमें एक सिग्नल नेटवर्क आ जाता है. इतने नेटवर्क से मोबाइल से बात हो जाती है.
गांव में नेटवर्क के लिए किया सर्वे
रामगढ़ इलाके के सिंघोर ग्राम के युवाओं को मोबाइल में नेटवर्क न होने से काफी दिक्कतें होती थी, ऐसे में गांव के युवाओं ने अलग-अलग जगहों में जाकर मोबाइल में नेटवर्क ढूंढना शुरू किया. जहां उन्हें मोबाइल में हल्का सा भी नेटवर्क दिखा उस स्थान पर उन्होंने लकड़ी का खूंटा गाड़ दिया और मोबाइल रखने के लिए एक स्टैंड लगा दिया. स्टैंड में मोबाइल रखकर लोग कॉल पर बातचीत करते है. स्टैंड से मोबाइल हटाते ही कॉल डिस्कनेक्ट हो जाता है. गांव के लगभग आधा दर्जन स्थानों में ऐसे टॉवर देखे जा सकते है.
परेशानी ऐसी की राशन भी दो दिन बाद मिलता है
गांव के बुजुर्ग संत कुमार ने कहा कि गाँव के लड़कों ने इसे बनाया है जिसके माध्यम से मोबाइल पर बात हो जाती है. संतकुमार ने बताया की यहां के ग्रामीणों को राशन लेने में दो दिन लग जाते है. सरकार (Government of Chhattisgarh) द्वारा दिये जाने वाले राशन को लेने के लिए पहले दिन गांव से लगभग 6 किलोमीटर दूर पहाड़ पर जाकर जहां मोबाइल नेटवर्क आता है और इंटरनेट (Internet) चलता है वहां राशन दुकानदार ग्रामीणों से अंगूठा लगवाते हैं और अगले दिन राशन दुकान से राशन वितरित करते हैं.
नेटवर्क कनेक्टिविटी की उम्मीद बनी
संतकुमार का कहना है कि आज जब ऑनलाइन पढ़ाई (Online Education) हो रही है, ऐसे में यहां नेटवर्क न होने से गांव के बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई का हिस्सा नहीं बन पा रहे हैं. यह पूरा क्षेत्र मोबाइल नेटवर्क विहीन है. यहां के सिंघोर, अमृतपुर, सेमरिया, सुकतरा, उधैनी, उज्ञाव जैसे इलाकों में मोबाइल नेटवर्क व इंटरनेट कनेक्टिविटी न होने के कारण यहां की लगभग 5 हजार आबादी को आधार कार्ड (Aadhar Card), पैन कार्ड (PAN Card), जन्म प्रमाण पत्र (Birth Certificate) व अन्य सरकारी दस्तावेज (Government Documents) बनवाने के लिए 40 किलोमीटर दूर सोनहत विकासखण्ड मुख्यालय का रुख करना पड़ता है. वहीं पूरे इलाके में डिजिटल लेनदेन (Digital Transactions) न होने के कारण बाहर से यहां आने वालों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
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