पटाखे और अगरबत्ती...क्या है नक्सलियों की नई स्ट्रैटजी ?

CG Naxal Attack:  दिवाली के पटाखे और अगरबत्ती… अब नक्सली इसका इस्तेमाल सुरक्षा बलों के शिविरों पर हमला करने के लिए करने लगे हैं. जानें नक्सलियों की नई रणनीति.

विज्ञापन
Read Time: 4 mins

CG Naxal Attack:  दिवाली के पटाखे और अगरबत्ती… अब नक्सली इसका इस्तेमाल सुरक्षा बलों के शिविरों पर हमला करने के लिए करने लगे हैं. कई वामपंथी उग्रवाद प्रभावित दूरदराज के क्षेत्रों में ऐसा कई वाकया देखा गया है जहां वे इन दोनों चीजों का एक नए हथियार की तरह उपयोग कर रहे हैं. 

समाचार एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि 25 सितंबर को तेलंगाना के कोठागुडेम जिले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के पुसुगुप्पा शिविर के आसपास अगरबत्ती का इस्तेमाल कर पटाखे फोड़ने और कैंप के जवानों का ध्यान भटकाने के लिए रॉकेट और बंदूक से हमला करने का यह अनोखा तरीका देखा गया. 

सिनियर अफसर ने सुनाई हैरान करने वाली कहानी  

नक्सल विरोधी अभियान चला रहे एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उस दिन शाम करीब 6.30 बजे अंधेरा छाने लगा और तेलंगाना-छत्तीसगढ़ सीमा पर शिविर में तैनात जवानों को उनके बेस की सीमा से करीब 200 मीटर की दूरी पर धमाकों और उसके बाद निकलने वाले धुएं की आवाज सुनाई दी. 

अधिकारी ने बताया कि घने जंगल वाले इलाके में नक्सलियों का हमला समझकर सीआरपीएफ कर्मियों ने जैसे ही मोर्चा संभाला, हवा में छिपे हुए माओवादी समूहों की ओर से गोलियों की तड़तड़ाहट और रॉकेट या बैरल ग्रेनेड लांचर (बीजीएल) के धमाके गूंजने लगे. जवानों ने इंसास और एके सीरीज की असॉल्ट राइफलों से जवाबी फायरिंग की, जबकि कुछ बम और ग्रेनेड भी दागे गए. करीब 45 मिनट तक आवाजें और फायरिंग जारी रही, जिसके बाद जवानों को पता चला कि नक्सली पीछे हट गए हैं.

Advertisement

रस्सियों से लटके दिवाली के पटाखे... जंगल में क्या हुआ? 

दिल्ली स्थित एक दूसरे अधिकारी ने बताया कि कैंप की बाड़ को कुछ नुकसान पहुंचा है, क्योंकि रॉकेट उनके पास आकर गिरे, लेकिन कोई हताहत नहीं हुआ. दूसरे अधिकारी ने बताया कि अगले दो दिनों में फोर्स की ओर से कैंप के आसपास के इलाकों का निरीक्षण करने पर पता चला कि पेड़ों पर रस्सियों से लटके दिवाली के पटाखे और उन्हें फोड़ने के लिए जली हुई अगरबत्ती का इस्तेमाल किया गया था.

"इससे पहले भी कुछ घटनाएं हुई हैं, जहां इस तरह की कार्यप्रणाली का इस्तेमाल विस्फोट की आवाज की ओर सैनिकों का ध्यान भटकाने और तुरंत उनके शिविरों पर बंदूक की गोलियों और कच्चे रॉकेटों से हमला करने के लिए किया गया था, लेकिन ये बातें निर्णायक नहीं थीं, क्योंकि कोई सबूत नहीं मिला. अधिकारी ने कहा, "पिछले महीने पुसुगुप्पा सीआरपीएफ शिविर पर हुए हमले ने नक्सलियों की इस नई चाल की पुष्टि की है, क्योंकि सैनिकों और बम निरोधक टीमों ने सबूत जुटाए हैं." 

अगरबत्ती यानी "टाइमर"?

नक्सल विरोधी अभियान विशेषज्ञों के अनुसार, नक्सलियों की ओर से अगरबत्ती का इस्तेमाल "टाइमर" के रूप में किया जा रहा है, क्योंकि वे पटाखों के पास इन्हें जलाते हैं और जब तक पटाखे फूटते हैं, तब तक वे सुरक्षा शिविरों के पास सुरक्षित स्थिति में आ जाते हैं. 

Advertisement

उन्होंने कहा कि माओवादी इस कार्यप्रणाली के माध्यम से सैनिकों को बरगलाने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि उनका उद्देश्य अंधेरे में विस्फोटों और बंदूक की गोलियों से उन्हें भ्रमित करना है. वे सैनिकों को शिविरों से बाहर निकालना चाहते हैं. 

नक्सली कर रहे प्रॉक्सी" हमले तकनीकों पर भरोसा

विशेषज्ञों का कहना है कि चूंकि नक्सली आमने-सामने की गोलीबारी करने की स्थिति में नहीं हैं, इसलिए वे इन "प्रॉक्सी" हमले तकनीकों पर भरोसा कर रहे हैं. इसमें जवानों पर जानलेवा हमले करने के लिए पटरियों के नीचे या पास में इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) का इस्तेमाल करना शामिल है. 
पहले नक्सली खनन क्षेत्र से विस्फोटक चुराकर लाते थे, लेकिन अब दिवाली के पटाखे और कच्चे रॉकेट का इस्तेमाल करके वे आसानी से बिना पकड़े जा सकते हैं. 

Advertisement

फोर्स है सतर्क

सीआरपीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "यह एक नया तरीका है. हालांकि, यह बहुत खतरनाक नहीं लगता. सुरक्षा बल इन जालों के खिलाफ सतर्क हैं."

पटाखों और अगरबत्ती का इस्तेमाल करके हमले विशेष रूप से दूरदराज के स्थानों से रिपोर्ट किए गए हैं, जहां सुरक्षा बल, विशेष रूप से सीआरपीएफ, नए कैंप खोल रहे हैं, जिन्हें फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस कहा जाता है. फोर्स ने पिछले 3-4 वर्षों में छत्तीसगढ़ में करीब 40 ऐसे बेस बनाए हैं और इस वित्तीय वर्ष तक करीब चार और तैयार कर रहा है, क्योंकि सबसे कठिन नक्सल विरोधी अभियान राज्य के दक्षिणी क्षेत्र बस्तर में केंद्रित है, जो ओडिशा और तेलंगाना की सीमा पर है. 

यह भी पढ़ें : MP में गेस्ट टीचर नहीं होंगे परमानेंट, सरकार ने कहा-'नियमित किये जाने का कोई प्रावधान नहीं'

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)