Bilaspur Train Accident: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर रेलवे स्टेशन के पास 4 नवंबर 2025 (मंगलवार) को हुए रेल हादसे में अब तक 11 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें एक लोको पायलट भी शामिल हैं. वहीं, 20 यात्री घायल हैं, जिनका इलाज अस्पताल में जारी है. रेलवे ने हादसे की जांच के लिए 19 कर्मचारियों और अधिकारियों को तलब किया है. अगले दो दिन तक इनसे पूछताछ की जाएगी ताकि किसी भी लापरवाही का पता लगाया जा सके.
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Rail Hadsa Bilaspur Accident: एक ही ट्रैक पर तीन ट्रेनें?
बिलासपुर रेल हादसे के कारणों की जांच चल ही रही थी कि गुरुवार दोपहर एक नई स्थिति ने सबका ध्यान खींच लिया. बताया गया कि एक ही ट्रैक पर तीन ट्रेनें एक साथ खड़ी हो गईं, जिससे यात्रियों में अफरा-तफरी मच गई. कुछ यात्रियों ने एहतियातन ट्रेन से उतरकर ट्रैक पर खड़ा होना शुरू कर दिया. सोशल मीडिया पर इसका वीडियो वायरल हुआ और कई लोगों ने इसे रेलवे की लापरवाही करार दिया.
रेलवे की सफाई: तकनीकी रूप से सब ठीक है
रेलवे ने इस मामले पर बयान जारी कर किसी तकनीकी गलती से इनकार किया है. दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के सीपीआरओ पुष्कर विपुल विलास राव ने बताया कि “ऑटोमेटिक ब्लॉक सेक्शन में एक ट्रैक पर एक निश्चित दूरी पर तीन गाड़ियां खड़ी रह सकती हैं. इसमें किसी तरह की तकनीकी खराबी नहीं है. वीडियो में कोई भी यात्री पैनिक में उतरता नहीं दिख रहा. आमतौर पर ट्रेन रुकने पर लोग नीचे उतरकर खड़े हो जाते हैं, इसे दहशत में उतरना नहीं कहा जा सकता. गाड़ी आगे बढ़ गई और किसी यात्री ने शिकायत नहीं की है.”
Automatic Block Signalling System: ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग सिस्टम क्या है?
भारतीय रेलवे में ट्रैकों को ‘ब्लॉक सेक्शन' में बांटा जाता है. सामान्य नियम के अनुसार, एक समय में एक ब्लॉक सेक्शन में केवल एक ही ट्रेन की अनुमति होती है, लेकिन ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग (Automatic Block Signalling) तकनीक के जरिए अब एक ट्रैक पर एक साथ कई ट्रेनें सुरक्षित दूरी बनाए रखते हुए चलाई जा सकती हैं.
इस प्रणाली की मुख्य बातें
- ट्रैक को कई छोटे ब्लॉकों में विभाजित किया जाता है.
- प्रत्येक ब्लॉक में लगा सिग्नल सिस्टम अगले ब्लॉक की स्थिति देखकर संकेत देता है.
- यदि एक ट्रेन आगे वाले ब्लॉक में है, तो पीछे वाली ट्रेन को केवल अगले ब्लॉक में जाने की अनुमति होती है.
- दोनों ट्रेनों के बीच कम से कम एक ब्लॉक या लगभग एक किलोमीटर की दूरी बनी रहती है.
- इस दौरान ट्रेनें restricted speed पर चलती हैं ताकि किसी भी आपात स्थिति में सुरक्षित रुक सकें.
“वन ट्रेन ओनली” सिस्टम और पासिंग लूप
जहां single track लाइनें होती हैं, वहां रेलवे “वन ट्रेन ओनली सिस्टम” लागू करता है. यानी एक समय में पूरे सेक्शन में केवल एक ही ट्रेन चलाई जा सकती है. वहीं, Passing Loops ऐसे बिंदु होते हैं जहां दो ट्रेनों को एक-दूसरे को पार करने या प्रतीक्षा करने की सुविधा मिलती है. यह व्यवस्था मुख्य रूप से कम व्यस्त या पहाड़ी इलाकों में लागू की जाती है.
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