CG : पूर्व CM भूपेश के करीबी ने की करोड़ों की धोखाधड़ी! हाईकोर्ट ने सुनवाई में कही ये बात 

Bilaspur News: स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स में काम दिलाने करोड़ों की धोखाधड़ी का मामला सामने आया है. इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के करीबी के के श्रीवास्तव की जमानत याचिका पर सुनवाई  हुई  है. 

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Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के करीबी के. के. श्रीवास्तव पर गंभीर आरोप लगे हैं. श्रीवास्तव पर करोड़ों की ठगी का आरोप है. जिसमें उन्होंने स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स में काम दिलाने के नाम पर बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी की है. इस प्रकरण में उनकी अग्रिम जमानत याचिका पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में सुनवाई की गई.

हाईकोर्ट ने ये कहा 

 छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की बेंच ने के. के. श्रीवास्तव की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान तीखी टिप्पणी की. चीफ जस्टिस ने कहा, "यह एक बड़े धोखाधड़ी का मामला है," जो स्पष्ट रूप से इस बात को इंगित करता है कि अदालत ने इस मामले को बेहद गंभीरता से लिया है. कोर्ट ने यह भी कहा कि केस डायरी प्राप्त होने के बाद ही मामले की अगली सुनवाई होगी, जिससे इस मामले की पूरी जांच और साक्ष्यों की समीक्षा के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा.

मामले में चीफ जस्टिस की बेंच में हुई सुनवाई के बाद अगली सुनवाई की तारीख 7 अक्टूबर को तय की गई है. इस तारीख को केस डायरी की उपलब्धता के आधार पर अदालत में आगे की कार्रवाई की जाएगी.

श्रीवास्तव की जमानत याचिका पर निर्णय उस समय लिया जाएगा जब अदालत सभी आवश्यक दस्तावेजों और साक्ष्यों की समीक्षा कर लेगी.

ये आरोप हैं 

भूपेश बघेल के करीबी रहे के. के. श्रीवास्तव पर आरोप है कि उन्होंने स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स में काम दिलाने के नाम पर करोड़ों की ठगी की. उन्होंने कई लोगों से इस प्रोजेक्ट में शामिल होने के लिए बड़ी धनराशि ली, लेकिन प्रोजेक्ट में किसी को भी शामिल नहीं किया गया. यह मामला छत्तीसगढ़ में एक बड़े वित्तीय घोटाले के रूप में उभरकर सामने आया है, जिसमें उच्च स्तर के प्रभाव और शक्तियों का दुरुपयोग किया गया है.

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श्रीवास्तव ने दायर की है याचिका 

श्रीवास्तव ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में अपनी अग्रिम जमानत याचिका दायर की है, जिसमें उन्होंने दावा किया है कि वे निर्दोष हैं और उन्हें झूठे आरोपों में फंसाया गया है. लेकिन अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए फिलहाल उन्हें कोई राहत नहीं दी है. अदालत ने यह स्पष्ट किया है कि जब तक केस डायरी की पूरी जानकारी सामने नहीं आती, तब तक कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया जा सकता.

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