Third Eye: ऐसे कैसे देखेगी तीसरी आंख? यहां दो साल से बंद पड़े हैं चौक-चौराहों पर लगे सीसीटीवी कैमरे!

Crime Monitoring: अपराधों पर रोकथाम के लिए जिला मुख्यालय में चौक-चौराहों में इंस्टाल तीसरी आंख यानी सीसीटीवी कैमरे पिछले दो साल बंद पड़े हैं. शहर के चौक और चौराहों पर दो वर्ष पूर्व 10 नग कैमरा लगाने के लिए 12 लाख रुपए स्वीकृत हुए थे. कैमरे इंस्टाल हुए, लेकिन काम नहीं कर रहे हैं.

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CCTV Camera become show pieces in Bemetra

Third Eye Become Show Piece: छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले में अपराधियों को पकड़ने के लिए चौक-चौराहों में लगाए गए सीसीटीवी कैमरे महज शो पीस बने हुए हैं, क्योंकि पिछले दो सालों से इंस्टाल कैमरे आज भी बंद पड़े हुए हैं, लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. अपराधी क्राइम करके निकल जाते हैं और पुलिस लकीर पीटती रह जाती है. 

अपराधों पर रोकथाम के लिए जिला मुख्यालय में चौक-चौराहों में इंस्टाल तीसरी आंख यानी सीसीटीवी कैमरे पिछले दो साल बंद पड़े हैं. शहर के चौक और चौराहों पर दो वर्ष पूर्व 10 नग कैमरा लगाने के लिए 12 लाख रुपए स्वीकृत हुए थे. कैमरे इंस्टाल हुए, लेकिन काम नहीं कर रहे हैं.

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शो पीस बने चौक-चौराहों और राष्ट्रीय राजमार्ग पर लगे सीसीटीवी कैमरे

गौरतलब है दो वर्ष पूर्व अपराधियों पर निगरानी के लिए जिला मुख्यालय के चौक-चौराहों और राष्ट्रीय राजमार्ग पर सीसीटीवी कैमरा लगाने के लिए पैसे स्वीकृत भी हुए, कैमरे लगाए भी गए, लेकिन कैमरे बंद पड़े हैं. इनमें उमरिया, टेमरी, देवरबीजा के बैरियर में 6 नग ANPR कैमरा और मोहाभाटा चौक में CCTV कैमरा लगाने के लिए 3 लाख 87 हजार स्वीकृत हुए थे.

सीसीटीवी कैमरे के सेटअप के लिए खर्च किए गए करीब 26 लाख रुपए

रिपोर्ट के मुताबिक सीसीटीवी कैमरे के इंस्टालेशन और सेटअप फर्नीचर, कंप्यूटर, लैपटॉप,प्रोजेक्टर सहित अन्य सामानों के लिए कुल 25 लाख 87 हजार डीएमएफ फंड से खर्च किए गए थे, लेकिन जिले के चौक-चौराहों में लगे कैमरे किसी काम के नहीं हैं, जिसके चलते अपराधी अपराध करके बेखौफ बच निकल जाते हैं.

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जिला मुख्यालय के चौक-चौराहों व राष्ट्रीय राजमार्ग पर सीसीटीवी कैमरा लगाने के लिए दो वर्ष पूर्व पैसे स्वीकृत हुए, कैमरे लगाए गए, लेकिन कैमरे बंद हैं. उमरिया, टेमरी, देवरबीजा के बैरियर में 6 नग ANPR कैमरा और मोहाभाटा चौक के लिए 3 लाख 87 हजार स्वीकृत हुए थे.

सीसीटीवी इंस्टालेशन के लिए फंड जारी होने के बाद कैमरे बंद क्यों?

उल्लेखनीय है चौक-चौराहों और राष्ट्रीय राजमार्ग पर ्अपराधों की मॉनिटरिंग के लिए कैमरा इंस्टाल करने और उसके लिए पैसे स्वीकृत कर जिला प्रशासन ने अपनी मंशा साफ की है, लेकिन उसके कार्यान्वन में हो देरी से उसके रवैये पर सवाल उठा दिए हैं. बंद पड़े सीसीटीवी कैमरों की उपयोगिता पर प्रश्न लाजिमी है, लेकिन प्रशासन की खामोशी निराश करती है.   

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