Bastar Dussehra: विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा का समापन, मावली माता की डोली विदाई में उमड़ा जनसैलाब, बंदूक की दी गई सलामी

Bastar Dussehra 2025 end: पारंपरिक वेशभूषा में सजे स्थानीय ग्रामीणों ने गाजे-बाजे और ढोल नगाड़ों की थाप पर माता की डोली को विदाई दी. शहर में निकाली गई विशाल कलश यात्रा ने पूरे माहौल को भक्तिमय बना दिया.

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Bastar Dussehra 2025 Concludes: 75 दिनों तक चलने वाले विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा पर्व का आज पारंपरिक और भावनात्मक समापन हुआ. समापन की अंतिम रस्म के रूप में मावली माता की डोली विदाई का आयोजन किया गया, जिसमें श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा. शहर के गीदम रोड स्थित जिया डेरा मंदिर में माता की पूजा-अर्चना माटी पुजारी और बस्तर राजपरिवार के सदस्य राजकुमार कमलचंद भंजदेव की मौजूदगी में संपन्न हुई.

ढोल नगाड़ों की थाप पर माता की डोली की विदाई

पारंपरिक वेशभूषा में सजे स्थानीय ग्रामीणों ने गाजे-बाजे और ढोल नगाड़ों की थाप पर माता की डोली को विदाई दी. शहर में निकाली गई विशाल कलश यात्रा ने पूरे माहौल को भक्तिमय बना दिया. परंपरा के अनुसार, कालांतर से बस्तर के राजा अन्नम देव स्वयं राजमहल से करीब तीन किलोमीटर पैदल चलकर माता की डोली को विदा करने पहुंचते थे.

बंदूक की दी गई सलामी

आज भी वही परंपरा निभाई जाती है, जो बस्तर की सांस्कृतिक अस्मिता और विरासत का प्रतीक है. डोली को रवाना करने से पहले बंदूक की सलामी दी गई और जयकारों से पूरा क्षेत्र गूंज उठा. श्रद्धालुओं की आंखों में विदाई की नमी और भक्ति का भाव साफ झलक रहा था.

लोकोत्सव विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा का हुआ समापन

मावली माता की डोली को परंपरा के तहत दंतेवाड़ा के लिए रवाना किया गया. इससे पहले मावली परघाव रस्म के दौरान माता की डोली को चार दिनों तक माई दंतेश्वरी मंदिर परिसर में रखा गया था, जहां भक्तों की भारी भीड़ दर्शन के लिए उमड़ती रही. आज इस डोली विदाई के साथ ही 75 दिनों तक चला यह लोकोत्सव विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा संपन्न हुआ, जिसने एक बार फिर बस्तर की परंपराओं, आस्था और जनसहभागिता की अनूठी झलक पूरे देश को दिखाई.

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