Butterfly and moth surveys in Barnawapara Wildlife Sanctuary: छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार जिले स्थित प्रसिद्ध बरनवापारा अभ्यारण्य में तीन दिवसीय बटरफ्लाई और मोथ का सर्वे किया गया. सर्वे का समापन कार्यक्रम अभ्यारण्य के बार ग्राम में अधीक्षक कृषानू चन्द्राकर की मौजूदगी में संपन्न हुआ. जिसमें बताया गया कि इस बार भी एक नई प्रजाति की तितली मिली है. इस नई प्रजाति शॉर्ट बैंडेड सेलर नामक तितली मिली है.
बता दें कि विशेष सर्वे में कुल 65 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया, जिनमें 42 प्रतिभागी, 8 वॉलेंटियर्स, 6 सपोर्ट टीम, 5 मैनेजमेंट सदस्य और 4 एक्सपर्ट शामिल रहे. बटरफ्लाई के विशेषज्ञों में गौरव निहलानी, डॉ. अजय मिश्र, डॉ. रविकांत दास, लाल बहादुर और सुनील बाजपेई शामिल रहे. वहीं मोथ एक्सपर्ट्स के रूप में आकांक्षा चंद्राकर, गोपाल वर्मा और जीवन लाल साहू ने अपनी भूमिका निभाई.
शॉर्ट बैंडेड सेलर नामक नई प्रजाति की पहचान की गई
सर्वे के दौरान 75 से अधिक बटरफ्लाई प्रजातियां और 80 से अधिक मोथ प्रजातियां दर्ज की गईं. अब तक बरनवापारा अभ्यारण्य में 131 तितली प्रजातियां दर्ज की जा चुकी थीं, जबकि इस बार शॉर्ट बैंडेड सेलर नामक नई प्रजाति की पहचान की गई, जिससे कुल संख्या बढ़कर 132 हो गई है.
तितलियों के संरक्षण के लिए लगाए गए ये पौधे
तितलियों के संरक्षण के उद्देश्य से अभ्यारण्य में हाइब्रिड लेंटाना, मीठी नीम, मधुमालती, जेट्रोफा, स्टेचीटारपेटा, अमलतास, करंज और सीताशोक जैसे होस्ट प्लांट्स लगाए गए हैं. विशेषज्ञ गौरव निहलानी ने बताया कि होस्ट प्लांट लगाने पर तितलियां मुंबई जैसे शहर में 30 माले की ऊंचाई पर भी अंडे देने पहुंच जाती हैं. इसलिए हर कोई होस्ट प्लांट लगाएं तो तितलियां हर व्यक्ति के पास तितलियां पहुंच जाएंगी.
हर प्रतिभागी तक तितलियों को पहुंचने के उद्देश्य से सर्वे के समापन पर सर्वे में शामिल सभी प्रतिभागियों को मीठी नीम और एग्जोरा के पौधे भेंट किए गए. विशेषज्ञों ने बताया कि इन पौधों में तितलियों का जीवन अंडे से प्यूपा बनने तक को वे महसूस कर सकते हैं, क्योंकि यह सभी काल तितलियों के लिए बहुत संघर्षपूर्ण होता है, इसलिए इनके संरक्षण की दिशा में अधिक प्रयासों की जरूरत है.
बारनवापारा अभ्यारण्य में132 प्रकार की हुई तितलियों की संख्या
बारनवापारा अभ्यारण्य के अधीक्षक ने बताया कि इस बार का सर्वे कार्यक्रम विस्तृत बनाया गया था, लेकिन हाथियों की लगातार मौजूदगी के चलते समय और स्थान में कुछ बदलाव भी किए गए, लेकिन इसके बावजूद यह सर्वे सफलता पूर्वक संपन्न हुआ.
बतौर विशेषज्ञ डॉ अजय झा ने कहा कि सर्वे के साथ ही बारनवापारा अभ्यारण्य फॉरेस्ट्री व रिसर्च के छात्रों और पर्यटकों के लिए बहुत खास है, क्योंकि यहां का परिस्थितिक तंत्र बहुत समृद्ध है.
सुनील बाजपेई ने कहा कि तितलियों के सर्वे से यहां की पारिस्थितिक तंत्र को भी समझा जा सकता है. तितलियों की आबादी ज्यादा होने पर बड़े जीव भी यहां सर्वाइव कर सकते हैं. खासकर जब समृद्ध पारिस्थितिक तंत्र होता है तो टाइगर और दूसरे वन्यजीव भी इस इलाके को अपना रहवास क्षेत्र चुनते हैं.
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