शिक्षकों ने सिस्टम को दिखाया आईना, जर्जर सड़क को सुधारने हेतु खुद ही फावड़े लेकर उतर गए, वीडियो हुआ वायरल

जब प्रशासन ने कोई कदम नहीं उठाया, तो गांव के सरकारी शिक्षक ही आगे आए. उन्होंने खुद फावड़ा उठाया और सड़क मरम्मत का काम शुरू कर दिया. इस दौरान ग्रामीणों ने वीडियो बना लिया और सोशल मीडिया पर डाल दिया. यह वीडियो अब जमकर वायरल हो रहा है और चर्चा का विषय बना हुआ है.

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Balrampur news: छत्तीसगढ़ के बलरामपुर ज़िले का एक वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है. इस वीडियो में शिक्षक स्वयं फावड़ा और गायत लेकर सड़क पर बने गड्ढों को भरते हुए नज़र आ रहे हैं. ग्रामीणों ने इस पूरे दृश्य को अपने मोबाइल कैमरे में कैद कर लिया, जो अब प्रशासन को आईना दिखाने का काम कर रहा है.

पूरा मामला ज़िले के राजपुर विकासखंड के खोखनिया गांव का है. यहां से होकर प्रधानमंत्री ग्राम सड़क गुजरती है, जो सूरजपुर ज़िले को जोड़ती है. इस सड़क से रोज़ाना छात्र-छात्राएं, व्यापारी और स्थानीय ग्रामीण आवागमन करते हैं. लेकिन वर्षों से सड़क की हालत बेहद जर्जर रही. जगह-जगह जानलेवा गड्ढे बन चुके थे, जिनसे लोगों को आवाजाही में भारी परेशानी उठानी पड़ रही थी. ग्रामीणों ने कई बार जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाई, लेकिन समस्या जस की तस बनी रही.

बारिश में बनी मौत का जाल

बरसात के मौसम में सड़क की स्थिति और भी भयावह हो जाती थी. गड्ढों में पानी भरने से कई बार दुर्घटनाएं हो चुकी थीं. रोज़ाना सैकड़ों गाड़ियां और पैदल यात्री इस मार्ग का उपयोग करते हैं, लेकिन सड़क सुधार की ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया. विभागीय अधिकारी भी स्थिति पर आंखें मूंदे रहे.

शिक्षक बने मिसाल

जब प्रशासन ने कोई कदम नहीं उठाया तो गांव के सरकारी शिक्षक ही आगे आए. उन्होंने खुद फावड़ा उठाया और सड़क मरम्मत का काम शुरू कर दिया. इस दौरान ग्रामीणों ने वीडियो बना लिया और सोशल मीडिया पर डाल दिया. यह वीडियो अब जमकर वायरल हो रहा है और चर्चा का विषय बना हुआ है.

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सीमावर्ती इलाके की उपेक्षा

खोखनिया गांव बलरामपुर और सूरजपुर ज़िलों की सीमा पर स्थित है. यहां से गुजरने वाला हिस्सा लगभग एक किलोमीटर फॉरेस्ट लैंड से होकर निकलता है, जिसकी वजह से सड़क निर्माण वर्षों से अधूरा है. सीमावर्ती इलाक़े होने के कारण दोनों ज़िलों और सरकारों ने इस ओर खास ध्यान नहीं दिया.

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यह स्थिति कहीं न कहीं सरकार की विकास योजनाओं की हकीकत उजागर करती है, जहां ग्रामीण आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

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