Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध बारनवापारा वन्यजीव अभयारण्य में वन विभाग द्वारा तीन दिवसीय बटरफ्लाई एंड मॉथ सर्वे 2025 का आयोजन किया जाएगा. यह आयोजन 6 से 8 नवंबर तक होगा. इसका उद्देश्य तितलियों और पतंगों की विविधता का अध्ययन, उनके संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाना और लोगों को प्रकृति से जोड़ना है. पंजीयन की आज अंतिम तारीख है.
कार्यक्रम मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और वन विभाग के निर्देश पर आयोजित किया जा रहा है. इसमें विद्यार्थी, शोधार्थी और आम प्रकृति प्रेमी भाग ले सकते हैं. अब तक इसके लिए 150 प्रतिभागियों ने पंजीयन कराया है, जिनमें कई अनुभवी विशेषज्ञों के साथ नए प्रतिभागी भी शामिल हैं.
150 से अधिक तितलियों की प्रजातियां मौजूद
बारनवापारा अभयारण्य तितलियों की जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध है. यहां लगभग 150 प्रजातियों की तितलियां और मोथ (पतंगे) पाई जाती हैं. इनमें वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची-1 में शामिल दुर्लभ क्रिमसन रोज (Pachliopta hector) और डनाइड इगली (Hypolimnas misippus) जैसी प्रजातियां भी पाई जाती हैं. वहीं, अनुसूची-2 की सिपोरा निरिसा, होगारा एनेक्स, यूक्रीशॉप्स सीनेजस, जेनेलिया लेपीडिया, रपेला वरुणा, लैंपिडर्स बोइहन और तजुना शिप्स जैसी प्रजातियां भी यहां देखी जा सकती हैं. कई प्रजातियां अनुसूची-6 में भी सूचीबद्ध हैं, जो इस क्षेत्र की पारिस्थितिक महत्ता को दर्शाती हैं.
बारनवापारा की जैव विविधता और आकर्षण
बलौदा बाजार जिले में स्थित बारनवापारा अभ्यारण्य राजधानी रायपुर से लगभग 90 किलोमीटर तथा बलौदा बाजार मुख्यालय से 58 किलोमीटर की दूरी पर है. लगभग 244.66 वर्ग किलोमीटर में फैला यह अभयारण्य छत्तीसगढ़ के सबसे सुंदर और जीवंत वन्यजीव क्षेत्रों में से एक है. यहां समतल व पहाड़ी भूभाग का अनूठा मिश्रण देखने को मिलता है, जो 265 से 400 मीटर की ऊंचाई पर फैला है.
वन्य जीवों से समृद्ध है बारनवापारा अभ्यारण्य
बारनवापारा अभ्यारण्य में चार सींग वाले हिरण, तेंदुए, जंगली भैंसे, बार्किंग डियर, हाइना, साही, चिंकारा और ब्लैक बक जैसे कई वन्यजीव पाए जाते हैं. साथ ही लगभग 28 हाथियों का दल भी यहां निवास करता है. अभयारण्य में बगुले, बुलबुल, तोते, इग्रेट्स और अन्य पक्षियों की अनेक प्रजातियां भी हैं.
सर्वे के दौरान रचनात्मक कार्यक्रम होंगे
वनमंडलाधिकारी गणवीर धम्मशील ने बताया कि यह आयोजन केवल सर्वेक्षण तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसमें तितली चित्रकला, वन्यजीव पेंटिंग और प्रेरक कहानियां साझा करने जैसी रचनात्मक गतिविधियां भी होंगी. यह आयोजन प्रतिभागियों को बारनवापारा की हरियाली और जैव विविधता के बीच प्रकृति से जुड़ने का अद्भुत अनुभव प्रदान करेगा.
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