छत्तीसगढ़ बनने के बाद नक्सलियों के खिलाफ सबसे बड़ी सर्जिकल स्ट्राइक की पूरी कहानी, बस्तर में ऐसे हुए प्रहार

Naxal Encounter in Chhattisgarh: डीआईजी (BSF DIG) बीएसएफ आलोक सिंह के अनुसार, बीएसएफ का ये काफी बड़ा इटिलिजेंस बेस ऑपरेशन था. 2 दिन से हमारी और डीआरजी की टीम कोटरी के ईस्टर्न साइड के इलाके में ऑपरेशन पर लगी हुई थी. अबूझमाड़ का इलाका नक्सलियों का हब माना जाता है. हमारी कमांडो और डीआरजी की टीम काफी दिनों से यह प्रैक्टिस कर रही थी. हमने हमारी ऑपरेशनल स्ट्रेटजी पर्टिकुलर ऑपरेशन के लिए बदली.

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Kanker Encounter: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में आए दिन पुलिस-सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ होती रहती है. लेकिन 16 अप्रैल मंगलवार को कांकेर (Kanker) में सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच जो मुठभेड़ (Encounter of Naxalites) हुआ उसमें 29 नक्सली मारे (29 Maoists Killed) गए. इस बारे में ऐसा बताया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ बनने के बाद नक्सलियों के खिलाफ यह अब तक की सबसे बड़ी सफलता है. छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कहा, "यह ऑपरेशन सर्जिकल स्ट्राइक की तरह किया गया और इसमें 29 नक्सली मारे गए जबकि कुछ नक्सली घायल भी हुए हैं. आइए इस सफल सर्जिकल स्ट्राइक की पूरी कहानी जानते हैं.

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बस्तर में मार्च तक नक्सलियों पर ऐसे हुए प्रहार

CG News: बस्तर में अब तक का ट्रैक रिकॉर्ड
Photo Credit: Ajay Kumar Patel

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सबसे सफल सर्जिकल स्ट्राइक की ऐसी है पूरी पटकथा

9 और 10 अप्रैल को दो दिवसीय दौरे में गृह सचिव (Home Secretary of India) अजय कुमार भल्ला (Ajay Kumar Bhalla) और आईबी (IB) के डायरेक्टर तपन कुमार डेका नक्सलियों के विरुद्ध निर्णायक कार्रवाई की रणनीति बनाने रायपुर पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने 10 राज्यों के मुख्य सचिवों और डीजीपी (DGP) के साथ ऑनलाइन बैठक (Online Meeting) भी की थी. शांतिपूर्ण लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) और नक्सल इलाकों में इंटेलिजेंस ब्यूरो (Intelligence Bureau) के इनपुट के आधार पर खुफिया ऑपरेशन (Intelligence Operation) की रणनीति भी बनाई गई थी.

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अधिकारियों ने बताया था कि खुफिया सूचना पर कश्मीर के आतंकियों की तरह ही छत्तीसगढ़ के नक्सलियों पर लक्ष्य आधारित कार्रवाई की जाएगी. डीआईजी इंटेलिजेंस आलोक कुमार सिंह के मुताबिक काफी दिनों से नक्सल कमांडर की इलेक्शन को लेकर कांकेर के सिचुएशन को लेकर सेंट्रल कमेटी और सब जोनल कमेटी की कमांडर की मूवमेंट की खबर मिल रही थी. इसके लिए पुलिस और बीएसएफ (BSF) ऑपरेशन की तैयारी कर रहे थे, उसी के तहत ऑपरेशन प्लान किया गया और फिर अंजाम दिया गया.

इन प्रमुख नक्सिलियों की खबर मिली

खबर मिली थी कि कांकेर के जंगलों में एक जगह 185 के करीब व एक जगह 200 के करीब नक्सल‍ियों की मीटिंग ली जा रही है. इसमें शंकर राव और दूसरे सीनियर सेंट्रल कमांडर रामवेद की मौजूदगी है. उसके बाद बीएसएफ और डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड यानी डीआरजी के 1,000 से अधिक जवानों को थाना छोटेबेठिया से लगभग 14-15 किमी दूर हापाटोला जंगल में सर्च ऑपरेशन के लिए भेजा गया. फिर पुख्ता सूचना के आधार पर घेराबंदी की गई.

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जिस वक्त मुठभेड़ हुई नक्सली दोपहर का खाना खाकर निश्चिंत होकर बैठे थे. जबकि नक्सल कमांडर शंकर राव मीटिंग लेने की तैयारी कर रहा था. इस बीच करीब 250 से 300 मीटर तक जवान उनके करीब पहुंच गए. इसके बाद मौका मिलते ही हमला कर दिया.

बीएसएफ कमांडो प्लाटून जो पूर्व दिशा से नक्सलियों से अटैक किया, नक्सलियों के पास कोई रास्ता नहीं बचा था. दूसरे नाले की तरफ से डीआरजी की टीम ने घेर रखा था, जिसमें ये नक्सली मारे गए.

लगभग 5 घंटे के तक हुई मुठभेड़, ऐसे बरामद हुए शव

पुलिस और नक्सलियों के बीच करीब साढ़े 5 घंटे तक मुठभेड़ हुई. इसमें बड़ी संख्या में नक्सली घायल हुए. फायरिंग रुकी तो जवानों ने मुठभेड़ वाले इलाके की सर्चिंग की.

पहले 18 और फिर बाद में कुल 29 नक्सलियों का शव बरामद कर लिया गया. मारे गए नक्सलियों में उनका कमांडर और 25 लाख रुपये का इनामी शंकर राव व 25 लाख की इनामी ललिता भी शामिल हैं. एक और नक्सली कमांडर राजू भी मारा गया है. नक्सलियों से 7 एके 47, 3 लाइट मशीन गन और इंसास रायफलें मिली हैं.

इस घटना से पहले 2 अप्रैल को बीजापुर जिले के जंगल में हुई मुठभेड़ में 13 नक्सलियों को मार गिराया गया था. वहीं 27 मार्च को 6 नक्सली मारे गए थे. इस घटना के साथ ही इस वर्ष में अब तक कांकेर सहित बस्तर क्षेत्र के 7 जिलों में सुरक्षा बलों ने अलग-अलग मुठभेड़ों में 80 नक्सलियों को मार गिराया है.

नक्सलियों का हब हमारे टारगेट में था : DIG, BSF

डीआईजी (BSF DIG) बीएसएफ आलोक सिंह के अनुसार, बीएसएफ का ये काफी बड़ा इटिलिजेंस बेस ऑपरेशन था. 2 दिन से हमारी और डीआरजी की टीम कोटरी के ईस्टर्न साइड के इलाके में ऑपरेशन पर लगी हुई थी. अबूझमाड़ का इलाका नक्सलियों का हब माना जाता है. हमारी कमांडो और डीआरजी की टीम काफी दिनों से यह प्रैक्टिस कर रही थी. हमने हमारी ऑपरेशनल स्ट्रेटजी पर्टिकुलर ऑपरेशन के लिए बदली. फोर्स डिफेक्शन और मोबिलीजेशन की डिफरेंट डायरेक्शन की तकनीक अपनाई. हमें नक्सलियो को सप्राइज करना था, हमने उन्हें सप्राइज किया और सफलता पाई.

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