'अगले तीन साल में देश से खत्म हो जाएगा नक्सलवाद', रायपुर में अमित शाह ने तैयार किया 'मास्टरप्लान'

केंद्रीय गृह मंत्रालय के अनुमान के मुताबिक, पिछले 10 वर्षों में नक्सली हिंसा की घटनाओं में 52 फीसदी की कमी आई है, जबकि इन घटनाओं में होने वाली मौतों की संख्या में 70 फीसदी की कमी आई है. 

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रायपुर में गृह मंत्री अमित शाह ने नक्सलवाद पर दिए कड़े निर्देश

Amit Shah in Chhattisgarh: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने रविवार को कहा कि अगले तीन वर्षों के भीतर देश से नक्सलवाद का खात्मा हो जाएगा. शाह ने नक्सल प्रभावित दूरदराज के इलाकों में विकास गतिविधियों में तेजी लाने का निर्देश दिया. छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में नक्सलवाद की स्थिति की समीक्षा करते हुए शाह ने सुरक्षा बलों को नक्सलियों के आर्थिक स्रोतों को बंद करने का भी निर्देश दिया. 

सूत्रों के मुताबिक गृहमंत्री शाह ने कहा कि सुरक्षा बलों की समन्वित कार्रवाई से नक्सलियों का अगले तीन साल के भीतर देश से खात्मा हो जाएगा. उन्होंने अधिकारियों को नक्सलवाद को खत्म करने के लिए एक खाका तैयार करने का भी निर्देश दिया. शाह ने कहा कि नक्सलवाद के समर्थकों की पहचान करनी होगी और उनके आर्थिक स्रोतों को पूरी तरह बंद करना होगा. गृह मंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ में कार्यरत सुरक्षा बलों और एजेंसियों को हर तरह की मदद सुनिश्चित की जाएगी. 

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10 साल में 52 फीसदी कम हुईं नक्सली घटनाएं

उन्होंने बैठक में कहा कि सुरक्षा बलों की योजना को जमीन पर उतारना है और नक्सलवाद को पूरी तरह खत्म करना है. शाह ने नक्सल प्रभावित इलाकों में विकास में तेजी लाने की जरूरत पर भी जोर दिया. उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार की सभी कल्याणकारी योजनाओं को इन क्षेत्रों में नए जोश के साथ लागू करना होगा. केंद्रीय गृह मंत्रालय के अनुमान के मुताबिक, पिछले 10 वर्षों में नक्सली हिंसा की घटनाओं में 52 फीसदी की कमी आई है, जबकि इन घटनाओं में होने वाली मौतों की संख्या में 70 फीसदी की कमी आई है. 

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96 से घटकर 45 हुए प्रभावित जिले

अनुमान से पता चलता है कि प्रभावित जिलों की संख्या 96 से घटकर 45 हो गई है और वामपंथी उग्रवाद प्रभावित पुलिस थानों की संख्या 495 से घटकर 176 हो गई है. गृहमंत्री ने पिछले महीने कहा था कि 2019 से वामपंथी उग्रवाद प्रभावित इलाकों में 199 नए सुरक्षा बल शिविर स्थापित किए गए हैं. उन्होंने कहा था, 'मोदी सरकार के पिछले दस साल के कार्यकाल में हम जम्मू कश्मीर, वामपंथी उग्रवाद और उत्तर पूर्व में उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों में लड़ाई जीतने में कामयाब रहे हैं और सुरक्षा बल जम्मू कश्मीर में अपना प्रभुत्व स्थापित करने में सफल रहे हैं.'