Union Budget 2025: सरकार दे सकती है इनकम टैक्स में भारी छूट, एक लाख करोड़ तक की राहत देने का है सुनहरा मौका!

Income Tax in Budget 2025: साल 2025 के आम बजट को लेकर लोगों में बहुत सारी अपेक्षाएं हैं. टैक्स स्लैब में बदलाव हो या इनकम टैक्स में कमी हो, हर किसी की नजरें निर्मला सीतारमण के संसद में बजट पेश करने पर टिकी हुई हैं. इससे पहले, इकनॉमिक सर्वे में दावा किया गया है कि इस बजट में सरकार या तो इनकम टैक्स या नई नौकरियों को लेकर बड़ा फैसला कर सकती है. आइए आपको इसके बारे में अधिक जानकारी देते हैं.

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Income Tax Relief: बजट 2025 को लेकर सामने आया बड़ा खुलासा

Union Budget 2025 Expectations: भारत के लिए दो साल बाद आम बजट (General Budget 2025) अपने तय समय पर पेश होने वाला है. इस बजट से उद्योगपति, आम लोगों और मध्यम वर्गिय लोगों को भी बहुत उम्मीदें हैं. वित्तीय जानकारों की मानें, तो राजकोषीय घाटे (Fiscal Deficit) के साथ पूंजीगत खर्च में कमी से सरकार के पास एक लाख करोड़ रुपये तक की वित्तीय गुंजाइश है. वित्त वर्ष 2024-25 में घाटे में कमी और अनुमान से कम पूंजीगत खर्च (Capital Expenditure) के रहने से आगामी बजट में सरकार के पास लोगों को एक लाख करोड़ तक की राहत देने की गुंजाइश दिख रही है. यह राहत इनकम टैक्स (Income Tax Waiver) में छूट से लेकर रोजगार से जुड़ी स्कीम में दी जा सकती है. 

कैपिटल खर्च मद में लाखों करोड़ रुपये बचे हैं

चालू वित्त वर्ष 2024-25 में पूंजीगत खर्च बजट में 11.11 लाख करोड़ रुपये दिए गए थे. लेकिन, इस दौरान, अप्रैल से नवंबर महीने के बीच तक इस आवंटन का 46 प्रतिशत ही खर्च हुआ है. पूंजीगत खर्च में कमी और राजस्व संग्रह में बढ़ोतरी से चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा बजट अनुमान से कम रह सकता है. इसमें जीडीपी का 4.9% रहने का अनुमान लगाया गया था. लेकिन, अब राजकोषीय घाटा जीडीपी का 4.7% रह सकता है.

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सरकारी फंड में हैं एक लाख करोड़ रुपये

प्रमुख बैंक अधिकारियों की मानें, तो राजकोषीय घाटे के साथ पूंजीगत खर्च में कमी से सरकार के पास अभी भी एक लाख करोड़ रुपये तक की वित्तीय गुंजाइश है. सरकार इनकम टैक्स की नई व्यवस्था के तहत स्टैंडर्ड डिडक्शन की छूट की सीमा बढ़ाने पर विचार कर रही है. भारत के गरीबों और किसानों से जुड़ी पीएम-किसान योजना, मनरेगा योजना जैसी स्कीम के तहत आवंटन में बढ़ोतरी की जा सकती है.

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कर्ज भुगतान में कमी

जानकारों का मानना है कि जीडीपी के मुकाबले भारत के कर्ज का अनुपात भी कम हो रहा है. कोरोना काल में सरकार का कुल कर्ज जीडीपी का 88.4% तक पहुंच गया था. पिछले वित्त वर्ष ये 83% के स्तर पर रहा. कोरोना महामारी के बावजूद 2015-23 के बीच सरकार पर कर्ज की बढ़ोतरी दर 2.1 प्रतिशत रही. राजस्व प्राप्ति में ब्याज भुगतान की हिस्सेदारी भी कम हो रही है. कोरोना काल के दौरान 2020-21 में राजस्व प्राप्ति का 41.6 प्रतिशत हिस्सा ब्याज भुगतान में चला जाता था, जो चालू वित्त वर्ष में 37.2 प्रतिशत रहने की उम्मीद जताई गई है.

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