क्या सिंधिया,वीडी शर्मा, विवेक नारायण और संध्या को भी लड़ाया जाएगा चुनाव, सीटें कौन सी होंगी?

नरेंद्र सिंह तोमर को दिमनी सीट से प्रत्याशी बनाने के ऐलान से दूसरे दिग्गजों के भी दिल की धड़कने बढ़ गई हैं. अब अटकलें लगने लगी हैं कि बीजेपी अपनी चौथी सूची में केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया,भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और ग्वालियर के सांसद विवेक नारायण शेजवलकर को भी मैदान में उतार सकती है.

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Madhya Pradesh Assembly Elections: मध्यप्रदेश में बीजेपी की दूसरी लिस्ट ने आम लोगों के साथ-साथ राज्य के दिग्गज पार्टी नेताओं को भी चौंका दिया. ग्वालियर अंचल के पार्टी के वरिष्ट नेता, केंद्रीय कृषि मंत्री और विधानसभा चुनावों की प्रबंध समिति के मुखिया नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) को दिमनी सीट से प्रत्याशी बनाने के ऐलान से दूसरे दिग्गजों के भी दिल की धड़कने बढ़ गई हैं. अब अटकलें लगने लगी हैं कि बीजेपी अपनी चौथी सूची में केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया,(Jyotiraditya Scindia) भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा (VD Sharma) और ग्वालियर के सांसद विवेक नारायण शेजवलकर (Vivek Narayan Shejwalkar) को भी मैदान में उतार सकती है. लोग तो ये भी कयास लगा रहे हैं कि इन नेताओं को किन-किन सीटों से लड़ाया जा सकता है. 

सिंधिया भी उतरेंगे मैदान में ?

नरेंद्र तोमर ,कैलाश विजयवर्गीय, प्रह्लाद पटेल, फग्गन सिंह कुलस्ते (Kailash Vijayvargiya, Prahlad Patel, Faggan Singh Kulaste) और राकेश सिंह जैसे दिग्गजों को मैदान में उतारे जाने के बाद ये चर्चा हो रही है कि पार्टी अब किन दिग्गजों को मैदान में उतारेगी. ग्वालियर चम्बल अंचल में सबसे बड़ा नाम समझे जाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया को लेकर चर्चा सबसे गरम है. बीजेपी की दूसरी सूची आने के बाद जब उनसे विधानसभा चुनाव लड़ने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि पार्टी का निर्णय तो स्वीकार्य होता ही है. अब कहा जा रहा है कि इस समय बीजेपी प्रदेश में खासकर ग्वालियर चम्बल अंचल में एक एक सीट के लिए संघर्ष कर रही है. वह हर हाल में सत्ता में वापसी चाहती है लिहाजा सारा फोकस ग्वालियर चम्बल की सीटों पर है .

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2018 में यहां की 34 सीट में से बीजेपी महज 7 पर जीत पाई थी और अपनी 15 साल पुरानी सत्ता गंवा बैठी थी. इस बार हाईकमान कोई रिस्क नहीं लेना चाहता इसलिए तोमर के बाद सिंधिया को भी विधानसभा के मैदान में उतारा जा सकता है. उन्हें ग्वालियर पूर्व ,ग्वालियर दक्षिण,शिवपुरी के कोलारस या पोहरी से मैदान में उतारने की चर्चाएं चल रहीं हैं.

इनमें से ग्वालियर पूर्व और दक्षिण में अभी कांग्रेस विधायक हैं जबकि पोहरी और कोलारस पर अभी बीजेपी का ही कब्जा है.  

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शेजवलकर और संध्या राय को भी उतारने की चर्चा

बीजेपी में ग्वालियर के सांसद विवेक नारायण शेजवलकर (Vivek Narayan Shejwalkar) को भी विधानसभा चुनाव लड़ाने की चर्चा है. कहा जा रहा है कि उन्हें ग्वालियर पूर्व या दक्षिण से मैदान में उतारा जा सकता है. ये दोनों ही सीटें बीजेपी का गढ़ मानी जाती थी लेकिन दोनों पर ही फिलहाल कांग्रेस का कब्जा है . यहां पार्टी में दावेदारों की बड़ी भीड़ है जिसके चलते भयंकर गुटबाजी भी है.

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पार्टी को लगता है कि ऐसे में संघ बैगग्राउंड के शेजवलकर को टिकट देने से गुटबाजी पर अंकुश लग सकेगा. इसी तरह भिण्ड अजा आरक्षित  लोकसभा सीट की वर्तमान सांसद संध्या राय (Sandhya rai) को मुरैना जिले की अंबाह सीट से चुनाव लड़ाने की चर्चा है.

श्रीमती राय मूलतः मुरैना जिले की ही रहने वाली है और जब दिमनी आरक्षित सीट थी तब वे वहां से बीजेपी की एमएलए चुनी गई थी अब एक बार फिर पार्टी उन्हें मुरैना वापस लाकर अंबाह आरक्षित सीट से लड़ा सकती है.


बेटे को दिमनी से टिकट दिलाना चाहते थे तोमर 

केंद्रीय कृषिमंत्री नरेंद्र सिंह तोमर मध्यप्रदेश की सियासत के कद्दावर नेता माने जाते थे. वे बीजेपी के दो मर्तबा प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं.उन्हें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का संकटमोचक भी माना जाता है. पार्षद से अपनी सियासी पारी शुरू करने वाले तोमर दो दशक पहले ग्वालियर सीट से एमएलए  चुने गए फिर प्रदेश में मंत्री और राज्यसभा सदस्य बने. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहली बार पीएम पद की शपथ ली तब सबसे पहले केंद्रीय मंत्री पद की शपथ लेने वालों में तोमर भी थे.

पार्टी ने उन्हें यूपी,असम और गोवा समेत कई राज्यों में चुनाव प्रभारी और पर्यवेक्षक बनाया और फिर 2023 के विधानसभा चुनावों के लिए एक बार एमपी में प्रबन्धन समिति का मुखिया बनाकर भेजा.यानी सियासत में उनका ग्राफ बहुत ऊपर था.

वे अपने बेटे देवेंद्र प्रताप सिंह तोमर रामू के लिए विधानसभा टिकट चाहते थे लेकिन पार्टी ने उनको खुद ही मुरैना जिले की दिमनी सीट से प्रत्याशी बनाकर चौंका दिया.इस फैसले के बाद तोमर कुछ घंटे के लिए ग्वालियर आये लेकिन उन्होंने किसी सियासी या प्रशासनिक आयोजन में हिस्सेदारी नहीं की. मीडिया के सवाल पर कहा कि ये पार्टी का निर्णय है वे चुनाव लड़ेंगे.इसके बाद वे भोपाल लौट गए.