Assemblyelection2023 : भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव (Madhya Pradesh Assembly Election 2023) के लिए अपने उम्मीदवारों की 5वीं लिस्ट जारी कर दी है. इस लिस्ट में पार्टी ने 92 कैंडिटेड्स के नाम सामने रखे हैं. इसमें बीजेपी ने अपने 29 विधायक और 3 मंत्री का टिकट काटा है जबकि 37 विधायकों को फिर से मौका दिया है. वहीं दो सीटों गुना और विदिशा को होल्ड पर रखा है. बीजेपी की पांचवी सूची पर कांग्रेस नेता कमलनाथ तंज भी कसा है.
पहले देखिए लिस्ट में किसका-किसका नाम है
इन मंत्रियों के टिकट कट गए
बीजेपी अब तक 228 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार चुकी है.बीजेपी ने जो पांचवी सूची जारी की है उसमें ओपीएस भदौरिया, यशोधरा राजे सिंधिया और गौरीशंकर बिसेन के टिकट काटे गए हैं, ये तीनों ही शिवराज सरकार के मंत्री थे. वहीं पार्टी ने 29 विधायकों को भी टिकट नहीं दिया है. पार्टी ने भिंड से नरेंद्र सिंह कुशवाह और मेहगांव से राकेश शुक्ला को बनाया प्रत्याशी. भोपाल दक्षिण पश्चिम विधानसभा से पूर्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता का कटा टिकट, उनकी जगह भगवानदास सबनानी को मिला टिकट. बालाघाट से मंत्री गौरीशंकर बिसेन का टिकट काटकर उनकी बेटी मौसम बिसेन को प्रत्याशी बनाया गया.बड़वाह सीट से कांग्रेस छोड़ बीजेपी में आये सचिन बिड़ला को मिला टिकट.
खंडवा में चौंकाया
मध्य प्रदेश के खंडवा जिले से बीजेपी ने चौंकाने वाले टिकट दिए हैं. भाजपा ने अपने दो सिटिंग MLA की टिकट काट कर नए चेहरों को मौका दिया है. खंडवा से वर्तमान विधायक देवेंद्र वर्मा का टिकट काटकर जिला पंचायत अध्यक्ष कंचन मुकेश तन्वे को उम्मीदवार बनाया है. वहीं पंधाना से विधायक और प्रदेश प्रवक्ता राम दंगोरे का टिकट काटकर कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुई छाया मोरे को अपना प्रत्याशी घोषित किया है. मांधाता विधानसभा सीट से एक बार फिर स्थानीय विधायक नारायण पटेल को भाजपा ने मौका दिया है, नारायण पूर्व में कांग्रेस नेता रहे हैं. कमलनाथ सरकार गिरने के बाद में वे कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए थे.
कमलनाथ का तंज
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में बीजेपी प तंज कसते हुए लिखा है कि " भारतीय जनता पार्टी की पांचवी सूची ने स्पष्ट कर दिया है कि भाजपा नेतृत्वहीन होने के साथ ही दिशाहीन भी हो चुकी है. पार्टी ने उम्मीदवार नहीं उतारे हैं, बल्कि हार का ठीकरा फोड़ने के लिए कुछ पुराने और नए नाम सामने कर दिए हैं. अब न भाजपा के पास मुख्यमंत्री का चेहरा है और ना ही विधायकों का चेहरा. जनता के सामने 18 साल का कुशासन है और जनता उसे खारिज करने के लिए कमर कस चुकी है. इसके साथ ही मध्य प्रदेश में बहुत हद तक कांग्रेस और भाजपा दोनों के अधिकांश प्रत्याशी सामने आ चुके हैं. कांग्रेस के एक-एक कार्यकर्ता को पूरी लगन और मेहनत से चुनावी समर में उतरना है और भाजपा की इस मन से हारी हुई टीम को औपचारिक रूप से ईवीएम के अंदर भी हरा देना है. जय कांग्रेस विजय कांग्रेस."
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