MP Assembly Elections Results : सिंधिया का साथ छोड़ना कमलनाथ को पड़ा भारी, जानिए कितनी सीटों पर नुकसान?

ग्वालियर जिले में भाजपा के लिए भितरवार सीट दो दशक से सबसे कमजोर मानी जा रही थी. बीते पांच बार से यहां से कांग्रेस के लाखन सिंह जीतते आ रहे थे. इस बार सिंधिया ने यहां से अपने कट्टर समर्थक मोहन सिंह राठौड़ को टिकट दिलाकर सबको चौंका दिया था. वे सबसे कमजोर कैंडिडेट माने जा रहे थे लेकिन वे महज चार राउंड में ही निर्णायक बढ़त बना चुके हैं.

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ग्वालियर:

Madhya Pradesh Assembly Elections Results 2023 : मध्यप्रदेश विधानसभा की मतगणना में कमलनाथ (Kamal Nath) और उनकी कांग्रेस (Congress Party) को बड़ा मंहगा पड़ता दिख रहा है. भले ही लाडली बहना योजना (CM Ladli Bahna Yojna) के कारण भाजपा की सरकार में वापसी दिख रही हो. रुझानों के परिणाम बता रहे हैं कि ग्वलियर के मतदाताओं पर केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) का जादू और जलवा बरकरार है. ग्वालियर जिले में कांग्रेस (Congress) खाता खोलने में अभी तक कामयाब होते नहीं दिख रही.

सभी छह सीट पर कांग्रेस पिछड़ी

2018 में ग्वालियर जिले में छह में से पांच सीट जीतकर इतिहास रचने वाली कांग्रेस 5 साल में बुरी तरह सिकुड़ गई. पिछली बार भाजपा सिर्फ एक ग्वालियर ग्रामीण सीट जीत सकी थी. यहां से भाजपा के इकलौते विधायक भारत सिंह जीते थे. यह ज्योतिरादित्य सिंधिया का जलवा माना जा रहा था. यही वजह थी कि जब सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ भाजपा का हाथ थामा तो जिले के पांच में से तीन विधायक उनके साथ चले गए. जब इसके बाद उप चुनाव (By Election) हुए तो तीन में से दो सीट जीतकर कांग्रेस ने हुंकार भरी और सिंधिया के खिलाफ बहुत आक्रामक रुख अपनाते हुए कहना शुरू कर दिया कि अब ग्वालियर चम्बल में सिंधिया परिवार का तिलस्म उतर गया है. लेकिन अंचल के परिणामों से पहले आये रुझानों से साफ हो रहा है कि यहां सिंधिया परिवार का जादू चल रहा है. फिलहाल छह में से एक भी विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस शुरू से ही बढ़त नहीं बढा सकी है. रुझानों में उसकी खुद की चारों सीट तो हाथ से जाती दिख ही रही है वहीं बाकी दो पर भी भाजपा अपने परिणाम दोहरा रही है. 

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सबसे कमजोर सीट पर सबसे ज्यादा बढ़त

ग्वालियर जिले में भाजपा के लिए भितरवार सीट दो दशक से सबसे कमजोर मानी जा रही थी. बीते पांच बार से यहां से कांग्रेस के लाखन सिंह जीतते आ रहे थे. इस बार सिंधिया ने यहां से अपने कट्टर समर्थक मोहन सिंह राठौड़ को टिकट दिलाकर सबको चौंका दिया था. वे सबसे कमजोर कैंडिडेट माने जा रहे थे, लेकिन वे महज चार राउंड में ही निर्णायक बढ़त बना चुके हैं.

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संभाग में भी भाजपा को बड़ी सफलता 

यही हाल ग्वालियर-चम्बल की बाकी सीट का भी है. भिण्ड जिले में 2018 में कांग्रेस ने जिले की पांच में से सिर्फ एक सीट जीती थी, लेकिन रुझानों में इस बार कांग्रेस की हालत एकदम उल्टी दिख रही है.  अटेर सीट पर ही कांग्रेस के हेमंत कटारे ही आगे हैं. कांग्रेस में दिग्गज नेता और नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह भी आगे पीछे हो रहे हैं.

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