CG Assembly Session: किसान आत्महत्या का मामला सदन में गूंजा, विपक्ष ने वॉकआउट से पहले क्या कहा? जानिए

Chhattisgarh Assembly Winter Session : नेता प्रतिपक्ष ने कहा अगर 5 मिनट की चर्चा किसी गरीब के लिए की जाए तो इसमें आखिरकार क्या परेशानी है? किसान आत्महत्या के मामले पर चर्चा कराने को लेकर सदन के बीच सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच नोक-झोंक लगातार चलती रही.

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Opposition walks out in Chhattisgarh Legislative Assembly : छत्तीसगढ़ विधानसभा में शीतकालीन सत्र (Chhattisgarh Assembly Winter Session 2023) के दौरान आज किसान आत्महत्या (Farmer Suicide Case) का मामला जमकर गूंजा. आत्महत्या का ये मामला नारायणपुर जिले के कुकड़ाझोर गांव के आदिवासी किसान हीरुराम बढ़ई से जुड़ा हुआ है. किसान बैंक का लोन नहीं चुका पाने की वजह से हीरुराम बढ़ई ने कीटनाशक दवाई खाकर 12 दिसंबर को आत्महत्या कर ली थी. आज सदन की कार्यवाही शुरू होने के साथ ही विपक्ष ने किसान की आत्महत्या के मामले पर स्थगन प्रस्ताव (Adjournment Motion) के जरिए चर्चा की मांग की थी. लेकिन विधानसभा अध्यक्ष (Speaker of Chhattisgarh Assembly) ने खारिज कर दिया, इस बात का विरोध करते हुए विपक्ष सदन से वॉकआउट कर गया. आइए आत्महत्या के मामले और सदन में इसको लेकर किसने क्या कहा जानते हैं.

पहले जानिए सदन में किसने क्या कहा?

कांग्रेस विधायक (Congress MLA) लखेश्वर बघेल ने किसान आत्महत्या मामले पर स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा कराए जाने की मांग की. इसको लेकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) के विधायक अजय चंद्राकर ने कहा सत्र के आमंत्रण में कहीं भी नहीं कहा गया है कि शून्यकाल (Zero Hour) या स्थगन प्रस्ताव की चर्चा की जाएगी, तो लखेश्वर बघेल किस प्रक्रिया के तहत यह कह रहे हैं.

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इसके बाद छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) ने कहा भले ही इसका उल्लेख नहीं किया है, लेकिन नई सरकार आने के बाद अगर घटना घटित हुई है तो इस मुद्दे पर चर्चा करवायी जानी चाहिए.

बघेल की बात पर बीजेपी के बृजमोहन अग्रवाल ने कहा "सदन नियम और कानून से चलता है और इस प्रकार के छोटे सदन में जब कहीं भी इसका उल्लेख नहीं किया गया है कि ध्यान आकर्षण और स्थगन पर चर्चा करानी है तो सदन के कानून को समझते हुए सीधे अनुपूरक बजट पर चर्चा की जानी चाहिए.

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नेता प्रतिपक्ष ने क्या कहा?

नेता प्रतिपक्ष ने कहा अगर 5 मिनट की चर्चा किसी गरीब के लिए की जाए तो इसमें आखिरकार क्या परेशानी है? किसान आत्महत्या के मामले पर चर्चा कराने को लेकर सदन के बीच सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच नोक-झोंक लगातार चलती रही. कांग्रेस के कवासी लखमा ने कहा एक आदिवासी किसान ने आत्महत्या की है, हम नियम शिथिल कर चर्चा कराए जाने की मांग कर रहे हैं. इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि पहले से किसी भी चर्चा का उल्लेख नहीं है, साथ ही अल्प सूचना में सत्र आहुत किया गया है. विधासभा अध्यक्ष ने स्थगन प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया. इसके बाद विपक्ष ने सदन से वॉक आउट कर गया.

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अब जानिए किसान आत्महत्या का मामला

12 दिसंबर को किसान हीरू बढ़ई ने आत्महत्या कर ली थी. शुरुआती जांच-पड़ताल में पता चला कि किसान को 1 लाख 24 हजार रुपये का कर्ज चुकाने के लिए बैंक से नोटिस भेजा गया था, नोटिस के बाद से किसान काफी तनाव में था. किसान के परिवार के सदस्यों और स्थानीय लोगों ने दावा किया है कि वह कर्ज के बोझ और खराब पैदावार से परेशान था. इस घटना के बाद किसानों की कर्ज माफी को लेकर कांग्रेस और भाजपा आमने-सामने आ गए. 

किसान के बेटे योगेश्वर बढ़ई के अनुसार उसके परिवार के पास लगभग नौ एकड़ जमीन है. इस साल खरीफ की बुआई के लिए जिला सहकारी बैंक से 1 लाख 12 हजार 852 रुपये का ऋण लिया था. हाल ही में ब्याज सहित 1.24 लाख रुपये का कर्ज चुकाने का नोटिस मिला था जिसे लेकर उसके पिता चिंतित थे.

योगेश्वर के मुताबिक उनके पिता ने कई बार चिंता जताई थी कि ऋण का भुगतान कैसे किया जाएगा. उन्हें इस बात की भी चिंता थी कि उनके बेटे की शादी के लिए पैसों का इंतजाम कैसे करेंगे. योगेश्वर ने कहा, “ घटना वाले दिन पिता खेत पर अकेले थे और हम सभी खाना खाकर लौटे थे. उन्हें उल्टी करते हुए देखने पर हमने उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया जहां अगले दिन उनकी मौत हो गई.”

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