Premanandji Maharaj: कौन हैं वृंदावन वाले 'प्रेमानंदजी' महाराज?  5 ऐसी बातें, जो नहीं जानते होंगे आप?

Premanand JI Maharaj: फिलहाल प्रेमानंद जी महाराज का आश्रम परिक्रमा मार्ग, पुरानी कालीदहा, वृंदावन में है. महाराज जी ने अपने एक सत्संग में बताया है कि उनकी दोनों किडनी पिछले 17 साल से फेल है. इलाज ना मिल पाने के कारण उन्होंने अपनी एक किडनी का नाम राधा और दूसरे का नाम कृष्ण रख लिया था.

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Vrindavanwali Premanandji Maharaj

Vrindavanwale Premananji Maharaj: सोशल मीडिया पर लगातार सुर्खियों में रहने वाले वृंदावन के बाबा प्रेमानंद जी महाराज को कौन नहीं जानता है, लेकिन आज हम आपको प्रेमानंद जी महाराज के बारे में 5 ऐसी बातें बताने जा रहे हैं, जो आज से पहले आपने नहीं सुनी होंगी.अपनी दोनों किडनियों के खराब होने से लाचार राधारानी के भक्त प्रेमानंद जी महाराज पिछले कुछ सालों से लगातार लोगों के आकर्षण के केंद्र रहे हैं.

किडनी खराब होने से डायलिसिस पर जीवित प्रेमानंद जी भक्तों की लिस्ट भी बड़ी हाईप्रोफाइल है.उनके भक्तों में क्रिकेटर विराट कोहली भी है, जिन्हें हाल में पत्नी व एक्ट्रेस अनुष्का शर्मा के साथ उनके आश्रम में स्पॉट हुए थे. मथुरा से MP एक्ट्रेस हेमामालिनी भी उनके प्रशसंकों में शामिल है.

 प्रेमानंद जी महाराज का असली नाम अनिरुद्ध कुमार पांडे है

मूलरूप में कानपुर के रहने वाले प्रेमानंद जी महाराज का असली नाम अनिरुद्ध कुमार पांडे है, लेकिन अभी वो प्रेमानंद जी महाराज के रूप में प्रचलित हैं.वृंदावन आश्रम में कथावाचन करने वाले प्रेमानंद जी महाराज का जन्म कानपुर के सरसौल के अखरी गांव में हुआ था. 13 साल की किशोरावस्था में घर त्यागने वाले घर को छोड़कर वाराणसी आ गए.

प्रेमानंद जी महाराज ने कानपुर ने 13 वर्ष की में गृह त्याग दिया

महज 13 वर्ष की उम्र में गृह त्याग कर कानपुर से प्रेमानंदजी महाराज वाराणसी पहुंचे और वहां उन्होंने नैष्ठिक ब्रह्मचर्य शुरू किया.उस वक्त लोग उन्हें आनंद स्वरूप ब्रह्मचारी के नाम से जानते थे. आगे चलकर उन्होंने संन्यास ले लिया. संन्यासी बनने के बाद उन्होंने मां गंगा को अपनी दूसरी मां मान लिया.वाराणसी में हर रोज पेड़ के नीचे ध्यान लगाने के दौरान श्री श्यामा श्याम की कृपा से वृंदावन की महिमा की ओर आकर्षित हुए.

प्रेमानंद जी महाराज बेटिकट ट्रेन में बैठकर वृंदावन पहुंच गए

बताया जाता है कि दौरान प्रेमानंद जी महाराज को एक संत मिले.संत के सानिध्य में प्रेमानंद जी को रास लीला में शामिल हुए.करीब एक महीने तक रास लीला में हिस्सा रहे प्रेमानंद जी लीलाओं से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने वृंदावन जाने का सोच लिया.एक ऐसा वक्त था वृंदावन आने के लिए व्याकुल प्रेमानंद जी महाराज बेटिकट ट्रेन में बैठकर वृंदावन पहुंच गए.

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प्रेमानंद जी महाराज का आश्रम परिक्रमा मार्ग, पुरानी कालीदहा, वृंदावन में है. महाराज जी ने अपने एक सत्संग में बताया है कि उनकी दोनों किडनी पिछले 17 साल से फेल है और इलाज न मिल पाने के कारण उन्होंने एक किडनी का नाम राधा और दूसरे का नाम कृष्ण रख लिया था.

जब घंटों प्रेमानंदजी महाराज राधा रानी को ताकते रह गए

वृंदावन पहुंचने के बाद प्रेमानंद जी का शुरुआती वक्त वृंदावन की परिक्रमा और श्री बांके बिहारी के दर्शन में बीता. बांके बिहारी जी के मंदिर में एक संत की सलाह पर श्री राधावल्लभ मंदिर पहुंचे प्रेमानंद महाराज घंटों राधा रानी को ताकते रह गए. इसी दौरान मंदिर में मौजूद संत गोस्वामी जी ने उन पर ध्यान दिया,जिसके बाद महाराज जी राधा बल्लभ संप्रदाय में शरणागत मंत्र ले लिया.

17 साल से फेल किडनी दोनों का नाम राधा-कृष्ण रखा 

फिलहाल प्रेमानंद जी महाराज का आश्रम परिक्रमा मार्ग, पुरानी कालीदहा, वृंदावन में है. महाराज जी ने अपने एक सत्संग में बताया है कि उनकी दोनों किडनी पिछले 17 साल से फेल है. इलाज ना मिल पाने के कारण उन्होंने अपनी एक किडनी का नाम राधा और दूसरे का नाम कृष्ण रख लिया था.60 वर्षीय प्रेमानंद महाराज का उनके ही आश्रम में हर दिन डायलिसिस होता है और आज भी सुबह 3 बजे 10 से 12 किमी की परिक्रमा करते हैं.

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