कैप्टन अंशुमान की कीर्ति पर किसका हक़... क्यों छिड़ी है बहस?

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  • प्रकाशित: जुलाई 12, 2024

सियाचिन (Siachen) में देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले सेना के कैप्टन अंशुमान सिंह (Captain Anshuman Singh) के परिवार को उनके अदम्य साहस, त्याग और बहादुरी के लिए 5 जुलाई 2024 को राष्ट्रपति ने कीर्ति चक्र (Kirti Chakras) से सम्मानित किया. अंशुमान सिंह की मां और उनकी पत्नी बेटे का शौर्य पदक लेने पहुंचे. वो तस्वीरें जिस किसी ने देखीं उन सभी की आंखे नम हो गईं, सेना की आर्मी मेडिकल कोर के कैप्टन अंशुमान की पांच महीने पहले ही स्मृति से शादी हुई थी. और पांच महीने बाद ही कैप्टन अंशुमान शहीद हो गए और स्मृति वीर नारी बन गई. लेकिन इस मामले में अब नया मोड़ आया है. शहीद कैप्टन अंशुमान के माता पिता का आरोप है कि अंशुमान की तेरहवीं के बाद उनकी बहू स्मृति अंशुमान से जुड़ी सारी यादें और उनकी कीर्ति चक्र लेकर चली गईं. इसके साथ ही सवाल उस राशि पर भी खड़े होने लगे जो नियमों के तहत केवल स्मृति को मिले. जबकि अंशुमान के माता पिता के पास ना तो अब बेटा रहा और ना ही सरकार की आर्थिक मदद. तो सवाल ये है कि क्या नियमों को बदलने की ज़रूरत नहीं है हालांकि एमपी ने इसके लिए एक पहल जरूर की है. इसी पर आज हम चर्चा करेंगे तो आइए शुरुआत करते हैं.

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