अशोकनगर जिले में भले ही प्रशासन और जनप्रतिनिधि पर्याप्त खाद होने का दावा कर रहे हों. लेकिन उनका दावा यहां हवा होता दिखाई दे रहा है. किसान डीएपी खाद की एक बोरी के लिए संघर्ष कर रहे हैं. हालात ये हैं कि कड़कड़ाती ठंड में भी टोकल वितरण केंद्र के बाहर बिस्तर डालकर खुले आसामान के नीचे सोने के लिए मजबूर हैं. रात भर आग का सहारा लेकर वितरण केंद्र खुलेने का इंतजार कर रहे हैं.. ताकि एक बोरी खाद उन्हें नसीब हो सके. हालांकि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के अशोकनगर दौरे के बाद जैसे ही डीएपी खाद का रैक जिले में पहुंचा तो किसानों को उम्मीद जगी.