जिले के आदिवासी बाहुल्य घंसौर विकासखंड में स्थापित पावर प्लांट की कार्यप्रणाली से क्षेत्र की जनता भयभीत है। पावर प्लांट में कोयले से बिजली बनाई जाती है और बिजली बनाने के बाद बची केमिकल मिली हुई राख को क्षेत्र में कहीं भी फेंका जा रहा है। जिससे जनजीवन के साथ-साथ मूक पशुओं एवं पर्यावरण को खतरा बढ़ गया है। अब हालात ये हैं कि जिन खेतों तक राख फैल रही है, वहां जमीन पर फसल नहीं हो पा रही। जमीनों के बंजर होने से किसानों में प्लांट प्रबंधन पर खासा आक्रोश देखा जा रहा है.