जब ध्वनि ने ब्रह्म से बात की, तब जन्मा ध्रुपद... भोपाल स्थित ध्रुपद संस्थान में, संगीत केवल सुना नहीं जाता — जिया जाता है। यहाँ हर स्वर साधना है, हर थाप आत्मा की गूंज। ये है एक अनूठी यात्रा — ध्रुपद की गहराइयों तक, जहां राग, पखावज और गुरु-शिष्य परंपरा आज भी जीवित है। जानिए कैसे गुंदेचा बंधुओं ने इस परंपरा को दुनिया भर में फैलाया। देखिए वो स्थान जहाँ भारत की आत्मा सुर बनकर बहती है। मिलिए उन साधकों से जो जापान, अमेरिका जैसे देशों से आकर ध्रुपद सीख रहे हैं।