एक कहावत है- दूर के ढोल सुहावने होते हैं...लेकिन जब आप भोपाल (Bhopal) में आएंगे तो आप इसी कहावत को ऐसे कह सकते हैं- दूर की झीलें सुहानी होती हैं. दरअसल तालाबों के शहर भोपाल में ही तालाब बदहाल हो गए हैं. आप भोपाल के बड़े तालाब की ही स्थिति देख लीजिए. इसे दूर से देखिए तो सुंदर-स्वच्छ होने की गलतफहमी हो सकती है लेकिन पास जाइये तो सपनों की नाव सीवेज के समंदर में डूबती नज़र आएगी. ये हालत तब जबकि नगर निगम हर साल तालाबों की सफाई के लिए करोड़ों का बजट पास कराता है लेकिन पैसा कहाँ जाता है, ये एक रहस्य है. दूसरे शब्दों में कहें तो इसकी फाइलें शायद खुद तालाब ने निगल ली हैं. देखा जाए तो बड़े तालाब की पहचान इंटरनेशनल लेवल पर है.