भोपाल के हमीदिया अस्पताल से हर दिन निकलती हैं लावारिस लाशें — बिना नाम, बिना पहचान, बिना कोई अपना। NDTV की टीम ने 10 दिन तक इन लाशों की आख़िरी यात्रा को रिकॉर्ड किया — वो भी तब, जब कोई आंख रोने वाला नहीं था। और जो लोग इन शवों के लिए कफन-दफन का इंतज़ाम कर रहे हैं, घोटालेबाज़ों ने उन्हें भी नहीं बख्शा।