भोपाल गैस त्रासदी (Bhopal Gas Leak Tragedy) के 40 साल बाद एक नई त्रासदी की आशंका है। यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के 350 मीट्रिक टन जहरीले कचरे का निपटान इंदौर के पीथमपुर स्थित ट्रीटमेंट स्टोरेज डिस्पोजल फैसिलिटी में किया जाएगा, जहां पहले किए गए छह परीक्षण असफल रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप अत्यधिक जहरीले रसायनों का उत्सर्जन हुआ है, जिससे कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों का खतरा है। यहां निपटान होने वाला कचरा कुल कचरे का सिर्फ 5 प्रतिशत है। 12 साल पहले जर्मनी की एक कंपनी ने इस कचरे का निपटान 22 करोड़ रुपये में करने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन अब इसे राज्य में ही 126 करोड़ रुपये में निपटाया जा रहा है।.