Pride Father: मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ ने लीवर यानी यकृत की गंभीर बीमारी से जूझ रहे एक किसान को गुरुवार को इस बात की मंजूरी दी कि वह प्रतिरोपण सर्जरी के लिए अपनी 17 वर्षीय बेटी के लीवन का हिस्सा दान में ले सकता है. पिता ने हाईकोर्ट में दायर याचिका नाबालिग बेटी से अंगदान के लिए मंजूरी मांगी थी.
चिकित्सकीय बोर्ड ने नाबालिग लड़की की स्वास्थ्य जांच के बाद दिया अप्रूवल
उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा के सामने याचिका पर सुनवाई के दौरान शासकीय वकील ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार की ओर से गठित चिकित्सकीय बोर्ड ने नाबालिग लड़की की स्वास्थ्य जांच के बाद पाया है कि वह अपने बीमार पिता को लीवर का हिस्सा दान कर सकती है.
लीवर की गंभीर बीमारी से जूझ रहे पिता को अंगदान करेगी बड़ी बेटी प्रीति
इंदौर के ग्रामीण क्षेत्र में कृषि कार्य करने वाले पीड़ित शिवनारायण बाथम की चार बेटियां हैं. उन्होंने कोर्ट को बताया कि उनके पिता 80 साल के हैं, जबकि उनकी पत्नी मधुमेह की मरीज हैं, इसलिए उनकी सबसे बड़ी बेटी उन्हें ‘लीवर' का हिस्सा दान करने के लिए आगे आई है.
लीवर प्रत्यारोपण के बिना मुश्किल था चिकित्सकों के लिए पिता की जान बचाना
चिकित्सकों का कहना है कि मरीज को ‘लीवर' का हिस्सा जल्द प्रत्यारोपित नहीं किया गया, तो उनकी जान को खतरा हो सकता है. अदालत ने चिकित्सकीय बोर्ड की इस रिपोर्ट के मद्देनजर बाथम की याचिका मंजूर कर ली. एकल पीठ ने यह ताकीद भी की कि लीवर प्रतिरोपण की प्रक्रिया तमाम एहतियात बरतते हुए जल्द से जल्द पूरी की जाए.
लीवर प्रत्योरोपण के बाद पिता मिलेगी नई जिदंगी, बोले, मुझे मेरी बेटी पर गर्व है
मनोरे ने बताया,‘‘बाथम के पिता 80 साल के हैं, जबकि उनकी पत्नी मधुमेह की मरीज हैं. इसलिए उनकी बेटी उन्हें लीवर का हिस्सा दान करने के लिए आगे आई ताकि वह अपने बीमार पिता की जान बचा सके. बेटी का लीवर दान में मिलने से नई जिंदगी मिलने के उम्मीद से उत्साहित पिता बाथम ने कहा,'मुझे अपनी बेटी पर गर्व है'.
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