भोजेश्वर महादेव मंदिर से रॉक कला स्थल तक... MP के 6 धरोहरों को यूनेस्को ने अस्थायी सूची में किया शामिल
मध्य प्रदेश के ग्वालियर किला, धमनार का ऐतिहासिक समूह, भोजेश्वर महादेव मंदिर, चंबल घाटी के रॉक कला स्थल, खूनी भंडारा, बुरहानपुर, रामनगर और मंडला का गोंड स्मारक को यूनेस्को ने अपनी अस्थायी सूची में शामिल किया है.
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मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के ग्वालियर (Gwalior) में मौजूद ग्वालियर किले (Gwalior Fort) का निर्माण 8वीं शताब्दी में किया गया था. ये किला मध्यकालीन स्थापत्य के अद्भुत नमूनों में से एक है. ये ग्वालियर शहर के गोपांचल नामक छोटी पहाड़ी पर स्थित है. ये किला लाल बलुए पत्थर से निर्मित है. बता दें कि ये देश के सबसे बड़े किले में से एक है. इस किले का निर्माण सन 727 ईस्वी में सूर्यसेन नामक एक स्थानीय सरदार ने किया था. (फोटो क्रेडिट-फेसबुक) (कंटेट-प्रिया शर्मा)
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ग्वालियर किले में कई ऐतिहासिक स्मारक, बुद्ध और जैन मंदिर, गुजारी महल, मानसिंह महल, जहांगीर महल, करण महल, शाहजहां महल मौजूद हैं. किला मुख्यतः दो भाग में बंटा है. मुख्य किला और महल में (गुजारी महल और मान मंदिर महल). इन किलों का निर्माण राजा मान सिंह ने करवाया था. (फोटो क्रेडिट-फेसबुक) (कंटेट-प्रिया शर्मा)
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धमनार गुफाओं में 51 रॉक कट गुफाएं शामिल हैं. इस गुफा में बौद्ध और हिंदू संरचनाएं है. इस गुफा में स्तूप, चैत्य , बरामदे और बौद्ध धर्म के हीनयान और महायान दोनों संप्रदायों के छोटे कक्ष शामिल हैं, जिनका निर्माण 5वीं-6वीं शताब्दी में किया गया था. (फोटो क्रेडिट-फेसबुक) (कंटेट-प्रिया शर्मा)
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भोजेश्वर मंदिर (Bhojeshwar Mahadev Temple) की स्थापना और निर्माण धार के परमार राजा भोज (Raja Bhoj) ने 10वीं शताब्दी में कराया था. ये मंदिर बेतवा नदी (Betwa River) के किनारे एक पहाड़ी पर मौजूद है जो भोले बाबा के लिए फेमस है. भोजेश्वर मंदिर को भोजपुर शिव मंदिर (Bhojpur Temple) के नाम से भी जाना जाता है. इस मंदिर में बेहतरीन वास्तुशिल्प देखने को मिलता है. (फोटो क्रेडिट-फेसबुक) (कंटेट-प्रिया शर्मा)
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भोजेश्वर मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यहां का विशाल शिवलिंग है. इस शिवलिंग की लंबाई 21.5 फीट है. कहा जाता है कि पांडव ने अज्ञातवास के दौरान माता कुंती की पूजा के लिए इस भव्य शिव मंदिर का निर्माण कराया था. इस मंदिर को खुद भीम ने अपने हाथों से तैयार किया था. (फोटो क्रेडिट-फेसबुक) (कंटेट-प्रिया शर्मा)
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मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के बुरहानपुर (Burhanpur) का खूनी भंडारा (Khooni Bhandara) पूरी दुनिया में अपनी तरह का अनोखा वाटर सिस्टम है. करीब 407 साल पहले बने खूनी भंडारे की खासियत ये है कि इसमें पानी का प्रवाह गुरुत्वाकर्षण के नियम (Laws of Gravity) के विरुद्ध होता है. इसका पानी मिनरल वाटर से भी साफ है. कहा जाता है कि साल 1615 में अब्दुर्रहीम खानखाना ने खूनी भंडारा को बनवाया था. खूनी भंडारा को कुंडी भंडारे, नैहरे खैरे यारियां, कुड़ी का भंडार के नाम से भी जाना जाता है. (फोटो क्रेडिट-फेसबुक) (कंटेट-प्रिया शर्मा)