अयोध्या के श्रीराम का ओरछा से है 600 साल पुराना नाता, हिंदू-मुस्लिम दोनों श्रद्धा से झुकातें हैं सिर
ओरछा (Orchha)की धड़कन में भी भगवान राम (Ram) विराजमान हैं. प्रभु राम यहां धर्म से परे हैं. हिंदू हों या मुस्लिम, दोनों के ही राम आराध्य हैं. अयोध्या और ओरछा का करीब 600 वर्ष पुराना नाता है.
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ओरछा को बुन्देलखण्ड की 'अयोध्या' कहा जाता है. यहां भगवान राम को राजा के रूप में पूजा जाता है. (फोटो क्रेडिट- इंस्टाग्राम)
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करीब 600 साल पहले यहां भी अयोध्या से आए प्रभु राम के लिए भव्य मंदिर बनवाया गया था. हालांकि भगवान राम आज भी महारानी कुंवरि गणेश की रसोई में विराजमान हैं.
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करीब 600 साल पहले महारानी कुंवरि गणेश भगवान राम को अयोध्या से बाल रूप में लेकर ओरछा आई थी. दरअसल, राजा मधुकर शाह ने एक बार रानी कुंवरि गणेश को वृंदावन चलने का प्रस्ताव दिया था, उन्होंने अयोध्या जाने की जिद की. जिसके बाद राजा ने कहा था कि राम सच में हैं तो ओरछा लाकर दिखाओ. (फोटो क्रेडिट- इंस्टाग्राम)
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महारानी कुंवरि गणेश 21 दिन तक अयोध्या के सरयू तट पर तप किया. परिणाम नहीं मिलने के बाद वो सरयू नदी में कूद गईं. कहा जाता है कि कुंवरि गणेश की भक्ति देख बाल स्वरूप भगवान राम उनकी गोद में बैठ गए. श्रीराम जैसे ही महारानी की गोद में बैठे तो उन्होंने भगवान से ओरछा चलने की बात कहीं, लेकिन प्रभु राम कुंवरि गणेश के सामने तीन शर्त रख दिए.
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भगवान राम की तीनों शर्त मानकर महारानी उन्हें अयोध्या से ओरछा ले आई. ओरछा में रामराजा सरकार का ही शासन चलता है. चार पहर आरती होती है. सशस्त्र सलामी दी जाती है. राज्य शासन द्वारा यहां पर 1-4 की सशस्त्र गार्ड तैनात की गई है. मंदिर परिसर में कमरबंद केवल सलामी देने वाले ही बांधते हैं. (फोटो क्रेडिट- इंस्टाग्राम)
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कहा जाता है कि भगवान राम दिन में ओरछा में निवास करते हैं, लेकिन रात में शयन के लिए अयोध्या जाते हैं. दरअसल, ज्योति के रूप में भगवान श्रीराम को हनुमान मंदिर ले जाया जाता है, जहां से हनुमान जी शयन के लिए भगवान श्रीराम को अयोध्या ले जाते हैं. (फोटो क्रेडिट- इंस्टाग्राम)
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