Tourism: कावड़िया पहाड़ की खूबसूरती पर्यटकों को कर रही आकर्षित, जानें क्या है इसके पत्थरों की खासियत

मध्य प्रदेश के देवास जिला मुख्यालय से करीब 130 km की दूरी पर पुंजापुरा फॉरेस्ट रेंज में आने वाले इस कावड़िया पहाड़ की खासियत यहां के पत्थरों में छिपी है. इन पत्थरों को अलग-अलग चीजों से बजाने पर आवाजें निकलती हैं. ये आवाज इस तरह की होती है मानों पत्थर नहीं बल्कि धातु या कोई साज है. आज तक कोई यह जान नहीं पाया कि आखिर ऐसा क्यों होता है?

  • कावड़िया के अलावा आसपास के किसी भी पत्थर से इस तरह की आवाज नहीं आती है.
    कावड़िया के अलावा आसपास के किसी भी पत्थर से इस तरह की आवाज नहीं आती है.
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  • इस पहाड़ की दूसरी खासियत ये है कि यह पहाड़ ऐसा लगता है जैसे किसी ने एक के ऊपर एक पत्थर रखकर इसे तैयार किया हो. यहां के पत्थर छह और अष्ट कोणीय हैं.
    इस पहाड़ की दूसरी खासियत ये है कि यह पहाड़ ऐसा लगता है जैसे किसी ने एक के ऊपर एक पत्थर रखकर इसे तैयार किया हो. यहां के पत्थर छह और अष्ट कोणीय हैं.
  • पुरातत्व विभाग के अधिकारियों और वैज्ञानिकों ने 25 से ज्यादा बार इसे जांचा है. वे इसे भूगर्भीय घटना बताते हैं. उनके अनुसार ये पत्थर बैसाल्ट के पत्थर हैं. ऐसे पत्थर ऑस्ट्रिया में एक पहाड़ पर भी हैं, लेकिन वह बहुत छोटी पहाड़ी है. इतना विशाल क्षेत्रफल का सिर्फ कावड़िया पहाड़ ही है, जो दुर्लभ है.
    पुरातत्व विभाग के अधिकारियों और वैज्ञानिकों ने 25 से ज्यादा बार इसे जांचा है. वे इसे भूगर्भीय घटना बताते हैं. उनके अनुसार ये पत्थर बैसाल्ट के पत्थर हैं. ऐसे पत्थर ऑस्ट्रिया में एक पहाड़ पर भी हैं, लेकिन वह बहुत छोटी पहाड़ी है. इतना विशाल क्षेत्रफल का सिर्फ कावड़िया पहाड़ ही है, जो दुर्लभ है.
  • स्थानीय लोग बताते हैं कि किवदंती है कि महाभारतकाल में भीम ने एक बार नर्मदा नदी से शादी का प्रस्ताव रखा था. तब नर्मदा ने शर्त रखी थी कि यदि आपने मुर्गे के बांग देने से पहले मेरे प्रवाह को रोक लिया तो मैं आपसे विवाह करूंगी.
    स्थानीय लोग बताते हैं कि किवदंती है कि महाभारतकाल में भीम ने एक बार नर्मदा नदी से शादी का प्रस्ताव रखा था. तब नर्मदा ने शर्त रखी थी कि यदि आपने मुर्गे के बांग देने से पहले मेरे प्रवाह को रोक लिया तो मैं आपसे विवाह करूंगी.
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  • तब भीम ने रातभर में नर्मदा के प्रवाह को रोकने के लिए इस पहाड़ी का निर्माण शुरू किया था.लेकिन मुर्गे की बांग से पहले पहाड़ पूरा नहीं हो सका. तब से ये पत्थर ऐसे ही जमे हुए हैं.
    तब भीम ने रातभर में नर्मदा के प्रवाह को रोकने के लिए इस पहाड़ी का निर्माण शुरू किया था.लेकिन मुर्गे की बांग से पहले पहाड़ पूरा नहीं हो सका. तब से ये पत्थर ऐसे ही जमे हुए हैं.
  • यहां बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं. ये इलाका पर्यटकों को काफी आकर्षित करता है. 

फोटो- कंटेंट - अरविंद, अंबु शर्मा
    यहां बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं. ये इलाका पर्यटकों को काफी आकर्षित करता है. फोटो- कंटेंट - अरविंद, अंबु शर्मा