दोनों हाथ से दिव्यांग होने के बाद भी शांता ने नहीं मानी हार, हौसला देखकर आप भी करेंगे सलाम
मध्य प्रदेश के देवास जिले के बागली की रहने वाली शांता जन्म से दिव्यांग है. लेकिन पढ़ाई के लिए उसका जज़्बा अलग ही है. इसी जज्बे से वह अपने हौसलों को पंख देकर नई उड़ान भर रही है. पुंजापुरा से कक्षा 10वीं की परीक्षा दे रही है. शांता सामान्य बच्चों की तरह ही लिखती हैं. हिंदी और अंग्रेजी में उसकी राइटिंग काफी सुंदर है. तय समय में अपना पर्चा लिखती हैं.
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शांता पढ़ाई के अलावा खेलकूद, चित्रकला और अन्य गतिविधियों में भी होशियार है. उसने प्रतियोगिता में इनाम भी जीते हैं. उसने अपनी हाथों की कमजोरी को अपनी ताकत बनाया और उसमें स्कूल और परिवार उसकी पूरी मदद करता है.
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सुदूर आदिवासी अंचल में मजदूर परिवार में जन्मी शांता के पिता कमल सोलंकी बताते हैं कि उनके 4 बच्चे हैं उसमें शांता तीसरे नम्बर की है. जन्म से ही हाथों से दिव्यांग होने से वह पहले अपने पैरों से लिखती थी.
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शांता अच्छे से पढ़ाई कर रही है. स्कूल की सभी गतिविधियों में भाग लेकर कई इनाम भी जीते हैं.
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इसके साथ ही मोबाइल चलाने व कम्प्यूटर का कीबोर्ड चलाने का काम भी आसानी से कर लेती है. निश्चित समय सीमा में काम उसकी आदत है. शांता उच्च शिक्षा ग्रहण कर बनना चाहती है.
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स्कूल के प्राचार्य नंदलाल परिहार ने बताया कि नर्सरी से शांता हमारे स्कूल में ही पढ़ रही है. 12वीं तक फीस नहीं लेंगे नर्सरी से ही स्कूल प्रबंधन द्वारा को नि शुल्क पढ़ाया जा रहा है. साथ ही कॉपी-किताब इसका किराया भी स्कूल प्रबंधन द्वारा वहन किया जाता है.
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जन्म से ही दोनों कोहनी के आगे हाथ नहीं है. इसके बाद भी वह पढ़ने में पीछे नहीं है. 8वीं कक्षा में 85 प्रतिशत अंक प्राप्त करने के बाद वह अब 10वीं की परीक्षा दे रही है. परीक्षा के दौरान वह दोनों हाथों की कोहनी की मदद से पेन पकड़कर परीक्षा देती है. उसकी हिन्दी इंग्लिश की लिखावट भी काफी सुंदर है. फोटो-कंटेंट- अरविंद, अंबु शर्मा
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