स्पेशल ओलंपिक में भारतीय फुटबॉल का जलवा, जीता ये कप... चमके जबलपुर के तरुण

स्वीडन में चल रहे स्पेशल ओलंपिक में भारतीय फुटबॉल टीम ने शानदार प्रदर्शन करते हुए डेनमार्क को 4-3 से हराकर गोठिया कप पर कब्जा कर लिया. डेनमार्क के खिलाफ यह मुकाबला बेहद कठिन था लेकिन भारतीय टीम ने असंभव को संभव कर दिखाया... इस शानदार खेल में जबलपुर के तरुण की भूमिका अहम रही.

  • स्वीडन में चल रहे स्पेशल ओलंपिक में भारतीय फुटबॉल टीम ने शानदार प्रदर्शन करते हुए डेनमार्क को 4-3 से हराकर गोठिया कप पर कब्जा कर लिया. भारतीय टीम और डेनमार्क के बीच खेले गए इस संघर्षपूर्ण मैच में दोनों टीमें बराबरी पर खेल रही थीं और स्कोर 3-3 था.
    स्वीडन में चल रहे स्पेशल ओलंपिक में भारतीय फुटबॉल टीम ने शानदार प्रदर्शन करते हुए डेनमार्क को 4-3 से हराकर गोठिया कप पर कब्जा कर लिया. भारतीय टीम और डेनमार्क के बीच खेले गए इस संघर्षपूर्ण मैच में दोनों टीमें बराबरी पर खेल रही थीं और स्कोर 3-3 था.
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  • आखिरकार, पेनल्टी गोल ने मुकाबले का निर्णय किया और जबलपुर के तरुण कुमार ने निर्णायक पेनल्टी गोल कर भारतीय टीम को विजयी बनाया. तरुण कुमार जो दिव्यांग खिलाड़ी हैं... उन्होंने इस स्पेशल ओलंपिक में अपना जलवा दिखाया. लीग मैचों में तरुण के तीन गोलों की बदौलत भारतीय टीम फाइनल में पहुंची थी.
    आखिरकार, पेनल्टी गोल ने मुकाबले का निर्णय किया और जबलपुर के तरुण कुमार ने निर्णायक पेनल्टी गोल कर भारतीय टीम को विजयी बनाया. तरुण कुमार जो दिव्यांग खिलाड़ी हैं... उन्होंने इस स्पेशल ओलंपिक में अपना जलवा दिखाया. लीग मैचों में तरुण के तीन गोलों की बदौलत भारतीय टीम फाइनल में पहुंची थी.
  • डेनमार्क के खिलाफ यह मुकाबला बेहद कठिन था लेकिन भारतीय टीम ने असंभव को संभव कर दिखाया और गोठिया कप पर कब्जा जमा लिया.
    डेनमार्क के खिलाफ यह मुकाबला बेहद कठिन था लेकिन भारतीय टीम ने असंभव को संभव कर दिखाया और गोठिया कप पर कब्जा जमा लिया.
  • इस जीत ने न सिर्फ भारतीय फुटबॉल टीम का मान बढ़ाया है, बल्कि यह साबित किया है कि मेहनत और हौसले से किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है. तरुण कुमार और भारतीय टीम की यह जीत हर किसी के लिए प्रेरणादायक है.
    इस जीत ने न सिर्फ भारतीय फुटबॉल टीम का मान बढ़ाया है, बल्कि यह साबित किया है कि मेहनत और हौसले से किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है. तरुण कुमार और भारतीय टीम की यह जीत हर किसी के लिए प्रेरणादायक है.
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  • जबलपुर के जस्टिस तंखा मेमोरियल स्कूल फॉर स्पेशल चिल्ड्रन के छात्र तरुण कुमार की इस सफलता के पीछे की कहानी भी खास है. आज तरुण 19 साल का हो गया है और अपने दिव्यांगता के बावजूद उसने अपनी मां और ननिहाल के सहयोग से इस मुकाम तक पहुंचा है.
    जबलपुर के जस्टिस तंखा मेमोरियल स्कूल फॉर स्पेशल चिल्ड्रन के छात्र तरुण कुमार की इस सफलता के पीछे की कहानी भी खास है. आज तरुण 19 साल का हो गया है और अपने दिव्यांगता के बावजूद उसने अपनी मां और ननिहाल के सहयोग से इस मुकाम तक पहुंचा है.
  • तरुण की मां संगीता ठाकुर ने NDTV को बताया कि तरुण जब दो साल का था.. तब वह न चल पाता था... न सुन सकता था और न ही बोल सकता था. उसकी मानसिक स्थिति भी कमजोर थी. इस मुश्किल समय में तरुण के पिता ने घर छोड़ दिया, लेकिन संगीता ठाकुर ने अकेले ही अपने बेटे को पाला.
    तरुण की मां संगीता ठाकुर ने NDTV को बताया कि तरुण जब दो साल का था.. तब वह न चल पाता था... न सुन सकता था और न ही बोल सकता था. उसकी मानसिक स्थिति भी कमजोर थी. इस मुश्किल समय में तरुण के पिता ने घर छोड़ दिया, लेकिन संगीता ठाकुर ने अकेले ही अपने बेटे को पाला.
  • स्वीडन जाने से पहले NDTV ने तरुण से बातचीत की थी, जिसमें तरुण ने इशारों में बताया था कि भारतीय टीम के हौसले बुलंद हैं और वह स्वर्ण पदक जीतकर लौटेंगे. तरुण का यह विश्वास मैदान पर साकार हुआ और भारतीय टीम ने गोठिया कप जीत लिया.
    स्वीडन जाने से पहले NDTV ने तरुण से बातचीत की थी, जिसमें तरुण ने इशारों में बताया था कि भारतीय टीम के हौसले बुलंद हैं और वह स्वर्ण पदक जीतकर लौटेंगे. तरुण का यह विश्वास मैदान पर साकार हुआ और भारतीय टीम ने गोठिया कप जीत लिया.
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