Mainpat Mahotsav: आज से होगा आगाज, छत्तीसगढ़ के शिमला का आप भी ले सकते हैं आनंद, देखिए तस्वीरें

सुंदर वादियां, खुशनुमा वातावरण और ऊंची-ऊंची पहाड़ियों से घिरा, विभिन्न संस्कृतियों का संगम स्थल मैनपाट. जहां पहुंचते ही आपको अलौकिक शांति की प्राप्ति होती है. मैनपाट में पर्यटन को बढ़ावा देने और विकास को गति देने के लिए साल 2012 को जिला प्रशासन सरगुजा ने मैनपाट महोत्सव की शुरुआत की थी. अब हर साल मैनपाट महोत्सव का आयोजन किया जाता है. जिसमें देश के नामी कलाकारों के द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति, विभागीय स्टॉलों के द्वारा विकास की झलक देखने को मिलती है. यहां एडवेंचर स्पोर्ट्स, नौकायन, पतंग फेस्ट, मेला, दंगल आदि गतिविधियां लोगों के मनोरंजन का माध्यम बनते हैं. इस बार 23 से 25 फरवरी तक मैनपाट महोत्सव का आयोजन रोपाखार जलाशय के पास किया जा रहा है. इसका उद्घाटन आज सीएम विष्णु देव साय करेंगे.

  • मैनपाट के बिसरपानी गांव में स्थित उल्टापानी छत्तीसगढ़ की सबसे ज्यादा अचंभित और हैरान करने वाला दर्शनीय स्थल है. यहां पर पानी का बहाव नीचे की तरफ न होकर ऊपर यानी ऊंचाई की ओर होता है. यहां सड़क पर खड़ी न्यूट्रल चारपहिया गाड़ी 110 मीटर तक गुरूत्वाकर्षण के विरूद्ध पहाड़ी की ओर अपने आप लुढ़कती है.

फोटो-कंटेंट- रोमी सिद्दकी, अंबु शर्मा
    मैनपाट के बिसरपानी गांव में स्थित उल्टापानी छत्तीसगढ़ की सबसे ज्यादा अचंभित और हैरान करने वाला दर्शनीय स्थल है. यहां पर पानी का बहाव नीचे की तरफ न होकर ऊपर यानी ऊंचाई की ओर होता है. यहां सड़क पर खड़ी न्यूट्रल चारपहिया गाड़ी 110 मीटर तक गुरूत्वाकर्षण के विरूद्ध पहाड़ी की ओर अपने आप लुढ़कती है. फोटो-कंटेंट- रोमी सिद्दकी, अंबु शर्मा
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  • छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में स्थित स्वामी विवेकानंद हवाई अड्डा देश के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा है. राज्य के बाहर के सैलानी हवाई मार्ग, रेलमार्ग तथा सड़क मार्ग से भी रायपुर पहुंच सकते हैं.यहां रेलमार्ग से अम्बिकापुर पहुंचकर फिर सड़क मार्ग से मैनपाट जाया जा सकता है. मैनपाट पहुंचने के लिए टैक्सी  एवं बस आसानी से यहां उपलब्ध हो जाते हैं. मैनपाट में रुकने के लिए छत्तीसगढ़ टूरिज्म बोर्ड द्वारा निर्मित रिजॉर्ट शैला और करमा हैं. साथ ही यहां निजी होटल एवं रिजॉर्ट भी हैं जहां पर्यटक अपनी सुविधा अनुसार ठहर सकते हैं.

फोटो-कंटेंट- रोमी सिद्दकी, अंबु शर्मा
    छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में स्थित स्वामी विवेकानंद हवाई अड्डा देश के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा है. राज्य के बाहर के सैलानी हवाई मार्ग, रेलमार्ग तथा सड़क मार्ग से भी रायपुर पहुंच सकते हैं.यहां रेलमार्ग से अम्बिकापुर पहुंचकर फिर सड़क मार्ग से मैनपाट जाया जा सकता है. मैनपाट पहुंचने के लिए टैक्सी एवं बस आसानी से यहां उपलब्ध हो जाते हैं. मैनपाट में रुकने के लिए छत्तीसगढ़ टूरिज्म बोर्ड द्वारा निर्मित रिजॉर्ट शैला और करमा हैं. साथ ही यहां निजी होटल एवं रिजॉर्ट भी हैं जहां पर्यटक अपनी सुविधा अनुसार ठहर सकते हैं. फोटो-कंटेंट- रोमी सिद्दकी, अंबु शर्मा
  • वैसे तो मैनपाट का मौसम वर्षभर खुशनुमा होता है. लेकिन नवम्बर से जनवरी के बीच सर्दियों के मौसम में मैनपाट की खूबसूरती और बढ़ जाती है.बारिश के बाद झरनों की सुंदरता, चारों ओर खेतों में लहराती हुई टाऊ की फसल दर्शनीय होती है. इसलिए ये मौसम मैनपाट में सैर करने के लिए सबसे अच्छा मौसम है.

फोटो-कंटेंट- रोमी सिद्दकी, अंबु शर्मा
    वैसे तो मैनपाट का मौसम वर्षभर खुशनुमा होता है. लेकिन नवम्बर से जनवरी के बीच सर्दियों के मौसम में मैनपाट की खूबसूरती और बढ़ जाती है.बारिश के बाद झरनों की सुंदरता, चारों ओर खेतों में लहराती हुई टाऊ की फसल दर्शनीय होती है. इसलिए ये मौसम मैनपाट में सैर करने के लिए सबसे अच्छा मौसम है. फोटो-कंटेंट- रोमी सिद्दकी, अंबु शर्मा
  • मैनपाट के महत्वपूर्ण प्रमुख टूरिस्ट स्पॉट में टाइगर प्वाइंट का अपना विशेष महत्व है. टाइगर प्वाइंट एक खूबसूरत प्राकृतिक झरना है जिसमें पानी इतनी तेजी से गिरता है कि शेर के गरजने जैसी आवाज आती है. चारों तरफ घनघोर जंगलों के बीच पहाड़ से गिरता हुआ झरना बहुत ही आकर्षक लगता है

फोटो-कंटेंट- रोमी सिद्दकी, अंबु शर्मा
    मैनपाट के महत्वपूर्ण प्रमुख टूरिस्ट स्पॉट में टाइगर प्वाइंट का अपना विशेष महत्व है. टाइगर प्वाइंट एक खूबसूरत प्राकृतिक झरना है जिसमें पानी इतनी तेजी से गिरता है कि शेर के गरजने जैसी आवाज आती है. चारों तरफ घनघोर जंगलों के बीच पहाड़ से गिरता हुआ झरना बहुत ही आकर्षक लगता है फोटो-कंटेंट- रोमी सिद्दकी, अंबु शर्मा
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  • दो से तीन एकड़ जमीन काफी नर्म है और इसमें कूदने से धरती गद्दे की तरह हिलती है. आस-पास के लोगों के मुताबिक कभी यहां जल स्त्रोत रहा होगा जो समय के साथ उपर से सूख गया तथा आंतरिक जमीन दलदली रह गई. इसी वजह से यह जमीन दलदली व स्पंजी लगती है.
दो से तीन एकड़ जमीन काफी नर्म है और इसमें कूदने से धरती गद्दे की तरह हिलती है. आस-पास के लोगों के मुताबिक कभी यहां जल स्त्रोत रहा होगा जो समय के साथ ऊपर से सूख गया और अंदर जमीन दलदली रह गई. इसी वजह से यह जमीन दलदली व स्पंजी लगती है.
फोटो-कंटेंट- रोमी सिद्दकी, अंबु शर्मा
    दो से तीन एकड़ जमीन काफी नर्म है और इसमें कूदने से धरती गद्दे की तरह हिलती है. आस-पास के लोगों के मुताबिक कभी यहां जल स्त्रोत रहा होगा जो समय के साथ उपर से सूख गया तथा आंतरिक जमीन दलदली रह गई. इसी वजह से यह जमीन दलदली व स्पंजी लगती है. दो से तीन एकड़ जमीन काफी नर्म है और इसमें कूदने से धरती गद्दे की तरह हिलती है. आस-पास के लोगों के मुताबिक कभी यहां जल स्त्रोत रहा होगा जो समय के साथ ऊपर से सूख गया और अंदर जमीन दलदली रह गई. इसी वजह से यह जमीन दलदली व स्पंजी लगती है. फोटो-कंटेंट- रोमी सिद्दकी, अंबु शर्मा