Republic Day Parade 2024: नई दिल्ली के कर्तव्य पथ पर दिखी बस्तर की आदिम जनसंसद 'मुरिया दरबार', देखिए ये झलकियां

Muria Darbar: नई दिल्ली के कर्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस की परेड में शामिल छत्तीसगढ़ की झांकी "बस्तर की आदिम जनसंसद: मुरिया दरबार" ने दर्शकों का मन मोह लिया. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित देश के अनेक शीर्षस्थ लोग, आम-नागरिक दर्शक-दीर्घा में उपस्थिति थे. फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों भी इस मौके पर मौजूद थे.

  • मुरिया दरबार एक ऐसा मंच है जहां बस्तर के सभी 7 जिला और 12 विधानसभा क्षेत्र के लोगों के साथ ही सीमावर्ती राज्य आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, ओड़िशा, महाराष्ट्र के लोग पहुंचते हैं.
    मुरिया दरबार एक ऐसा मंच है जहां बस्तर के सभी 7 जिला और 12 विधानसभा क्षेत्र के लोगों के साथ ही सीमावर्ती राज्य आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, ओड़िशा, महाराष्ट्र के लोग पहुंचते हैं.
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  • प्रदेश की इस झांकी के विषय चयन एवं प्रस्तुतिकरण के लिए राज्य शासन ने जनसंपर्क विभाग को जिम्मेदारी दी थी. विषयों पर व्यापक शोध एवं अन्वेषण के बाद वरिष्ठ अधिकारियों एवं विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में झांकी को तैयार की गई थी. छत्तीसगढ़ की झांकी भारत सरकार की थीम "भारत लोकतंत्र की जननी" पर आधारित थी.
    प्रदेश की इस झांकी के विषय चयन एवं प्रस्तुतिकरण के लिए राज्य शासन ने जनसंपर्क विभाग को जिम्मेदारी दी थी. विषयों पर व्यापक शोध एवं अन्वेषण के बाद वरिष्ठ अधिकारियों एवं विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में झांकी को तैयार की गई थी. छत्तीसगढ़ की झांकी भारत सरकार की थीम "भारत लोकतंत्र की जननी" पर आधारित थी.
  • बस्तर संभाग आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है. बस्तर के आदिवासियों की परंपरा, वेशभूषा, रीति-रिवाज, अनोखी परम्परा भारत देश सहित विश्वभर में एक अलग पहचान के लिए जानी जाती है. ऐसी कई परम्पराएं हैं जो सैंकड़ों सालों से चली आ रही हैं. बस्तर में आदिवासियों की संसद सैंकड़ों सालों से लग रही है.
    बस्तर संभाग आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है. बस्तर के आदिवासियों की परंपरा, वेशभूषा, रीति-रिवाज, अनोखी परम्परा भारत देश सहित विश्वभर में एक अलग पहचान के लिए जानी जाती है. ऐसी कई परम्पराएं हैं जो सैंकड़ों सालों से चली आ रही हैं. बस्तर में आदिवासियों की संसद सैंकड़ों सालों से लग रही है.
  • बस्तर के आदिवासियों ने अपनी समस्याओं को इस संसद में उठाया है. ये संसद आज भी लगती है.जिसे लोग मुरिया दरबार के नाम से जानते हैं.
    बस्तर के आदिवासियों ने अपनी समस्याओं को इस संसद में उठाया है. ये संसद आज भी लगती है.जिसे लोग मुरिया दरबार के नाम से जानते हैं.
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  • क्षेत्रीय लोगों ने बताया कि मुरिया दरबार का पहला आयोजन 08 मार्च 1876 को पहली बार हुआ था.
(फोटो/कंटेंट- अंबु शर्मा)
    क्षेत्रीय लोगों ने बताया कि मुरिया दरबार का पहला आयोजन 08 मार्च 1876 को पहली बार हुआ था. (फोटो/कंटेंट- अंबु शर्मा)