Tourist Place: छत्तीसगढ़ की इस जगह में गोवा की सी खूबसूरती, इन जगहों को देख लिया तो जाने से खुद को नहीं रोक पाओगे

Chhattisgarh Tourisam: छत्तीसगढ़ का बस्तर पर्यटन के लिहाज से बेहद खूबसूरत है. यहां के पहाड़, झरने, नदियां, हरियाली अपनी खूबसूरती बिखरते है. हम यहां 5 ऐसे पर्यटन स्थलों के बारे में बता रहे हैं, जिनकी हाल ही में स्थानीय युवाओं ने खोज की है.

  • दंतेवाड़ा जिले के ढोलकल शिखर पर करीब ढाई से तीन हजार फीट की ऊंचाई पर गणपति विराजे हैं. गणपति जी से लोगों की आस्था जुड़ी है. साथ ही कई किवदंतियां भी हैं. ये जगह पर्यटन के लिहाज से बेहद खूबसूरत है. यहां कैम्पिंग, ट्रैकिंग भी होती है.
    दंतेवाड़ा जिले के ढोलकल शिखर पर करीब ढाई से तीन हजार फीट की ऊंचाई पर गणपति विराजे हैं. गणपति जी से लोगों की आस्था जुड़ी है. साथ ही कई किवदंतियां भी हैं. ये जगह पर्यटन के लिहाज से बेहद खूबसूरत है. यहां कैम्पिंग, ट्रैकिंग भी होती है.
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  • चित्रकोट जल प्रपात से 25 किमी की दूरी पर मिचनार की खूबसूरत पहाड़ी स्थित है. हाल ही में इस जगह के बारे में लोगों पता चला था. हालांकि यह भी एक तरह की ट्रैकिंग प्लेस है. खड़ी पहाड़ में चढ़कर टॉप में पहुंचा जाता है. जिसके बाद गहरी खाई और यहां का खूबसूरत नजारा देखते ही बनता है.
    चित्रकोट जल प्रपात से 25 किमी की दूरी पर मिचनार की खूबसूरत पहाड़ी स्थित है. हाल ही में इस जगह के बारे में लोगों पता चला था. हालांकि यह भी एक तरह की ट्रैकिंग प्लेस है. खड़ी पहाड़ में चढ़कर टॉप में पहुंचा जाता है. जिसके बाद गहरी खाई और यहां का खूबसूरत नजारा देखते ही बनता है.
  • तारलागुड़ा क्षेत्र के चंदूर-दुधेड़ा गांव की सीमा से लगे गोदावरी नदी पर इंचमपल्ली बांध परियोजना अपने आप में ऐतिहासिक है. इस बांध में लगभग 45 से 50 फीट ऊंची एवं 100 से 200 फीट लंबी, 10 से 12 फीट चौड़ी तीन दीवारें बनी हैं. तीनों दीवारों को जोड़ती लगभग 12 से 15 फीट ऊंची एक और दीवार भी बनी है. यह इलाका हिस्टॉरिकल प्लेस की तरह नजर आता है.
    तारलागुड़ा क्षेत्र के चंदूर-दुधेड़ा गांव की सीमा से लगे गोदावरी नदी पर इंचमपल्ली बांध परियोजना अपने आप में ऐतिहासिक है. इस बांध में लगभग 45 से 50 फीट ऊंची एवं 100 से 200 फीट लंबी, 10 से 12 फीट चौड़ी तीन दीवारें बनी हैं. तीनों दीवारों को जोड़ती लगभग 12 से 15 फीट ऊंची एक और दीवार भी बनी है. यह इलाका हिस्टॉरिकल प्लेस की तरह नजर आता है.
  • बेहद शानदार पर्यटन स्थल दोबे भी बस्तर में ही है. दोबे को पत्थरों का परिवार या फिर पत्थरों का गांव भी कहा जाता है. यहां चारों तरफ पत्थरों से बनी हुई अद्भुत कलाकृतियां देखी जा सकती है. चट्टानों की खोह रात गुजारने के लिए बेहद सुकून दायक जगह मानी जाती है. सालभर पहले इसी इलाके की खोज स्थानीय युवाओं ने की थी.
    बेहद शानदार पर्यटन स्थल दोबे भी बस्तर में ही है. दोबे को पत्थरों का परिवार या फिर पत्थरों का गांव भी कहा जाता है. यहां चारों तरफ पत्थरों से बनी हुई अद्भुत कलाकृतियां देखी जा सकती है. चट्टानों की खोह रात गुजारने के लिए बेहद सुकून दायक जगह मानी जाती है. सालभर पहले इसी इलाके की खोज स्थानीय युवाओं ने की थी.
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  • भोपालपटनम से लगभग 20 किमी दूर मट्टीमरका गांव में इंद्रावती नदी किनारे दूर तक बिछी सुनहरी रेत और पत्थरों के बीच से कल-कल बहती इंद्रावती नदी का सौंदर्य देखते ही बनता है. नदी छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र की सीमा बनाते हुए बहती है. मट्टी मरका को बीजापुर जिले का गोवा भी कहा जाता है. एका एक युवा यहां कैंपिंग के लिए पहुंच रहे हैं.
    भोपालपटनम से लगभग 20 किमी दूर मट्टीमरका गांव में इंद्रावती नदी किनारे दूर तक बिछी सुनहरी रेत और पत्थरों के बीच से कल-कल बहती इंद्रावती नदी का सौंदर्य देखते ही बनता है. नदी छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र की सीमा बनाते हुए बहती है. मट्टी मरका को बीजापुर जिले का गोवा भी कहा जाता है. एका एक युवा यहां कैंपिंग के लिए पहुंच रहे हैं.