World Asthma Day: खुदी सड़कों ने लोगों का जीवन किया बेहाल, प्रदूषण की वजह से बढ़े अस्थमा मरीज

विश्व अस्थमा दिवस 6 मई को मनाया जाता है, और इस अवसर पर वायु प्रदूषण और अस्थमा के बीच के संबंधों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है. ग्वालियर शहर में वायु प्रदूषण एक बड़ी समस्या बन गई है, जिसके मुख्य कारण धूल और निर्माण कार्य हैं.

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वाहनों के गुजरने पर सड़कों से उड़ती धूल.

World Asthma Day: विश्व अस्थमा दिवस 6 मई को मनाया जाता है. अस्थमा की बड़ी बजह धूल से होने वाला प्रदूषण हैं. ग्वालियर शहर में जर्जर-खस्ताहाल सड़कें, बिना ढंके निर्माण कार्य, सड़कें खोदने के बाद आधी-अधूरी छोड़ना, फुटपाथ, सड़कों व डिवाइडरों से उड़ती धूल से प्रदूषण हर दिन शहरवासियों की सांसों में जहर घोल रहा है. यहां धूल के प्रदूषण का बढ़ना चिंताजनक हो गया है. अगर बात प्रदेश के चार महानगर भोपाल, इंदौर, जबलपुर व ग्वालियर की, की जाए तो ग्वालियर में एयर क्वॉलिटी इंडेक्स (एक्यूआई, AQI) 145 के साथ टॉप पर है, जबकि भोपाल 135 के साथ दूसरे स्थान पर और जबलपुर-इंदौर 100 से नीचे है.

प्रदूषण का यह लेवल बीते 10 दिन के अंदर 50 से बढ़कर 150 तक पहुंच गया है, जबकि वायु गुणवत्ता को कम करने के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने ग्वालियर नगर निगम व प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड को सख्त निर्देश दिए हैं, लेकिन उसके बाद भी दोनों ही विभागों की ओर से अब तक कोई बढ़ा कदम नहीं उठाया गया है. खास बात ये है कि सड़कों पर उड़ती धूल के कारण लोग बीमार हो रहे हैं. जेएएच अस्थमा के मरीजों की संख्या मे बीस फीसदी तक का इजाफा हुआ हैं.

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94 करोड़ में भी नहीं सुधरे हालात

नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम के अंतर्गत केंद्र सरकार की ओर से 15वें वित्त के लिए ग्वालियर नगर निगम को बीते तीन साल में वायु प्रदूषण सुधार के लिए 94 करोड़ मिल चुके हैं. निगम यह राशि लेने के बाद खर्च भी कर चुका है, लेकिन उसके बाद भी प्रदूषण में कोई सुधार नहीं हुआ है और एक्यूआई का स्तर लगातार बढ़ रहा है.

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पर्यावरण विशेषज्ञ ने बताया कि डॉ अनीश पाण्डे शहर में निर्माण कार्य, जर्जर उखड़ी सड़कें व धूल से प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ रहा है. अन्य महानगरों की तुलना में ग्वालियर में प्रदूषण का स्तर काफी तेजी से बढ़ाने का कारण ग्वालियर पहाड़ी से घिरा हुआ है, इसलिए हवा को घुलने में भी समय लगता है. एयर क्वालिटी को सुधारने के लिए सड़कों पर पानी का छिड़काव, डस्ट का कलेक्शन और निर्माण कार्य को ढंककर किया जाए और जिम्मेदार विभाग सख्ती के साथ मॉनिटरिंग करें.

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गुणवत्ता का यह है पैमाना

  • 0 से 50 तक गुड श्रेणी
  • 51 से 100 के बीच संतोषजनक
  • 101 से 200 तक मॉडरेट
  • 201 से 300 में पुअर
  • 301 से 400 पर सीवर श्रेणी


प्रदेश का आंकड़ा

  • ग्वालियर- 145
  • सिंगरौली- 73
  • भोपाल- 135
  • इंदौर- 71
  • रतलाम- 124
  • दमोह- 66
  • कटनी- 120
  • सागर- 62
  • उज्जैन- 60
  • देवास- 120
  • जबलपुर- 84


ऑनलाइन मॉनिटरिंग के लिए 4 मशीनें लगाईं

प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की ओर से प्रदूषण की मॉनिटरिंग के लिए महाराज बाड़ा, फूलबाग, सिटी सेंटर, डीडी नगर व एलएनआईपी में प्रदूषण की जांच के लिए मशीन लगाई गई है, लेकिन यहां भी प्रदूषण का स्तर 100 से अधिक आ रहा है. वहीं, फूलबाग की मशीन बीते दो महीने से बंद पड़ी हुई है.