Jiyajrrao Cotton Mill Update: ग्वालियर अंचल की बंद पड़ी जियाजीराव कॉटन मिल (JC Mill ) के दौरे पर सोमवार को पहुंचे सीएम डा. मोहन यादव ने 8 हजार श्रमिक परिवार के चेहरे पर बकाया भुगतान का आश्वासन देकर मुस्कान बिखेर दिया. 90 के दशक से बंद फैक्टरी के मजदूर बकाया पैसों के भुगतान के लिए काफी दिनों से कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं.
अचानक ग्वालियर जेसी कॉटन मिल पहुंचे सीएम श्रमिक परिवारों से मिले
रिपोर्ट के मुताबिक सोमवार को मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव अचानक ग्वालियर आकर सीधे जेसी मिल पर पहुंच गए और उन्होंने वहां वीरान पड़े कॉटन मिल और उसकी जमीन का निरीक्षण किया और श्रमिक परिवारों से भेंट कर उन्हें भरोसा दिया कि उनके हित मे जल्द ही बड़ा निर्णय होगा.
विजयपुर में प्रचार के बाद ग्वालियर लौटे सीएम सीधे फैक्टरी पहुंचे
मुख्यमंत्री मोहन सोमवार को विजयपुर विधानसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार कर ग्वालियर लौटे थे, उन्हें निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार एयरपोर्ट से ही सीधे झारखंड चुनाव प्रचार के लिए रवाना होना था, लेकिन वो जेसी मिल पहुंच गए. जिला कलेक्टर रुचिका चौहान और एसपी धर्मवीर सिंह ने आनन - फानन में सीएम को लेकर सर्किट हाउस से जेसी मिल पहुंचे.
श्रमिकों के परिजनों से मुलाकात कर मुख्यमंत्री ने उनका हाल जाना
जेसी मिल पहुंचे मुख्यमंत्री ने मिल का दौरा किया और श्रमिकों के परिवार से मिलकर उनका हाल जाना. मौके पर ही कलेक्टर और उद्योग विभाग के अफसर भी मौजूद रहे. इस दौरान सीएम ने कहा कि वे मुकदमा नहीं, समाधान चाहते है इसलिए इंदौर के हुकम चंद मिल की तर्ज पर जेसी मिल के 8 हजार श्रमिकों के हित में सरकार काम कर रही है.
जेसी मिल श्रमिकों के बकाया निपटान के लिए CM का बड़ा ऐलान
वहीं, मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री ने जेसी मिल श्रमिकों के बकाया निपटाने के लिए CM का बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि जल्द ही जेसी मिल के मजदूरों की बकाया देनदारी चुकाई जाएगी. सीएम ने कहा कि जल्द ही JC मिल की खाली जगह पर आईटी सेक्टर से जुड़ी कोई इकाई को स्थापित की जाएगी, जो JC मिल की 712 बीघा जमीन पर बनेगा.
स्वतंत्रता पूर्व स्थापित देश के सबसे बड़े कपड़ा मिल पर लगा ताला
गौरतलब है स्वतंत्रता पूर्व स्थापित जेसी मिल देश की सबसे बड़ी कॉटन कपड़ा मिल था, जो बिड़ला का था. उसका कॉटन न केवल देश में प्रसिद्ध था, बल्कि दुनिया भर में निर्यात भी होता था. आधुनिकीकरण के कारण छंटनी को लेकर यहां हुए बड़े श्रमिक आंदोलन के बाद कोर्ट ने नब्बे के दशक में जेसी मिल को अधिकारिक रूप से बंद करवा दिया था.
वर्तमान में जिंदा बचे 6000 कर्मचारियों की 135 करोड़ की है देनदारी
बताया जाता है जब मिल बन्द हुआ तब से मिल के 8037 कर्मचारी और श्रमिकों की देनदारियों के भुगतान को लेकर कानूनी दांव पेंच चल रहे है. इस दौरान अनेक श्रमिक मर भी गए. अभी 6000 कर्मचारियों की 135 करोड़ की देनदारी है. और 500 से अधिक मजदूरों ने भुगतान के लिए कोर्ट में भी केस दायर किए हैं.
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