महिला दिवस विशेष: कौशलवान बनाकर मनीषा संवार रहीं तकदीर, 7000 स्टूडेंट्स का हुआ चयन

मनीषा तलाक के बाद अपने माता-पिता के घर आ गईं, लेकिन अपने माता-पिता पर बोझ बनने के बजाय मनीषा ने चुनौतियों का सामना करने की ठानी और खुद को आत्मनिर्भर बनाने का निश्चय किया. उसके बाद वर्ष 2016 में छिंदवाड़ा में कौशल विकास केंद्र (Skill Development Center) से जुड़कर मनीषा को लगा कि वह भी जीवन में कुछ करने का सपना संजो सकती हैं.

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International Women's Day: आज का दिन बेहद खास है, क्योंकि आज 8 मार्च है. हर इस तारीख को दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day) के रूप में मनाया जाता है. ये खास दिन पिछले लगभग एक सदी से मनाया जा रहा है. इस दिन को दुनिया भर की महिलाओं के अधिकारों और उपलब्धियों के सम्मान के रूप में याद किया जाता है. आज महिला दिवस के मौके पर NDTV आपके लिए महिलाओं से जुड़ी कुछ खास कहानियां लेकर आया है. यहां पर हम छिंदवाड़ा (Chhindwara) जिले की 32 वर्षीय मनीषा यादव की कहानी आपको बताने जा रहे हैं, जिन्होंने अपने कौशल से कई स्टूडेंट्स की तकदीर बदली है...

International Women's Day: छिंदवाड़ा जिले की मनीषा यादव

आत्मनिर्भर बना रही हैं मनीषा

भारत में कई महिलाएं ऐसी हैं जो विभिन्न क्षेत्रों में अच्छा कार्य कर न केवल अपने परिवार का भरण-पोषण कर रही हैं बल्कि अन्य महिलाओं और पुरुषों को आत्मनिर्भर की राह प्रशस्त कर रही हैं, उन्हीं में से एक है मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा में रहने वाली 32 वर्षीय मनीषा यादव.

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मनीषा का कहना है कि शिक्षा (Education) और कौशल विकास (Skill Devlopment) से ही समाज में बदलाव संभव है. यही हर खुशी पाने का माध्यम भी है.

International Women's Day: छिंदवाड़ा जिले की मनीषा यादव क्लास के दौरान

आसान नहीं थीं मनीषा की राहें 

मनीषा एक मध्यम वर्गीय परिवार से आती हैं. मनीषा ने 2009 में स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद दिल्ली जाकर इंडियन एयरलाइंस (Indian Airlines) में ट्रेनिंग हासिल की. लेकिन पारिवारिक दबाव के चलते मनीषा को जल्दी शादी करनी पड़ी, वर्ष 2013 में मनीषा का विवाह हो गया, लेकिन 1.5 वर्ष में मनीषा का तलाक हो गया तब तक मनीषा एक बच्चे को जन्म दे चुकी थीं, ऐसे में तलाक हो जाने की बाद अपने बच्चे के भरण पोषण की जिम्मेदारी मनीषा के ऊपर आ गई.

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International Women's Day: छिंदवाड़ा जिले की मनीषा यादव क्लास को संबोधित करते हुए

मनीषा तलाक के बाद अपने माता-पिता के घर आ गईं, लेकिन अपने माता-पिता पर बोझ बनने के बजाय मनीषा ने चुनौतियों का सामना करने की ठानी और खुद को आत्मनिर्भर बनाने का निश्चय किया. उसके बाद वर्ष 2016 में छिंदवाड़ा में कौशल विकास केंद्र (Skill Development Center) से जुड़कर मनीषा को लगा कि वह भी जीवन में कुछ करने का सपना संजो सकती हैं.

आत्मविश्वास बढऩे के साथ उनके पिछले सारे दर्द दफन होते गए. अब वह मास्टर सॉफ्ट स्किल ट्रेनर (Master Soft Skills Trainer) बन गई हैं, जहां वह प्रतिदिन 60 पुरुषों और महिलाओं का कौशल विकास कर उनके आत्मनिर्भर बनने की राह प्रशस्त कर रही हैं. खास बात यह है कि उनके द्वारा अब तक 7000 स्टूडेंट का कई बड़ी कंपनीज में चयन हो चुका है. मनीषा अपने जैसी अन्य महिलाओं को भी आगे बढऩे में सहयोग करते हुए अपनी नेतृत्व क्षमता को बखूबी साबित कर रही हैं.

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