NDTV Ground Report News: एक तरफ जहां मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में सरकार बैगा आदिवासी समुदाय को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए जन मन से लेकर अन्य कई अभियान चला रही है. लेकिन, उमरिया (Umaria) जिले के आदिवासी बाहुल्य बैगा गांव अतरिया में गर्मी की शुरुआत में ही जल संकट (Water Crisis) की आहट सुनाई देने लगी है. पूरा गांव सिर्फ एक हैंडपंप के सहारे अपनी प्यास बुझाने के लिए मजबूर है. मजबूरी में लोग दूरदराज के नदी और नालों से पानी लाकर गुजारा करने को विवश हैं. गांव में पेयजल के लिए सरकारी नल जल योजना सालभर से अधूरी पड़ी हुई है.
पीने के पानी के लिए परेशान हो रहे गांव वाले
अधूरी पड़ी नल जल योजना
उमरिया के करकेली विकासखण्ड के अंतर्गत बैगा बाहुल्य ग्राम अतरिया बसा हुआ है. यहां नल जल योजना के तहत ग्रामीणों को घर–घर नल से पानी पहुंचाने का प्रोजेक्ट एक साल पहले चालू हुआ था. लेकिन, अभी तक अधिकारियों की उदासीनता के चलते योजना मूर्त रूप नहीं ले पा रही है. अतरिया गांव में रहने वाले बैगा परिवार के लोगों को अपनी प्यास बुझाने के लिए जूझना पड़ रहा है. गांव में मात्र एक हैंडपंप है, जिसके सहारे पूरे गांव के लोगों का गुजारा होता है. जब हैंडपंप बिगड़ जाता है, तो उन्हें दूरदराज नदी-नालों से पानी लाना पड़ता है.
नल जल योजना का एक साल से काम अटका
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नदी-नालों का पानी पीने के लिए हैं मजबूर
आदिवासी बाहुल्य गांव में तकरीबन चार सौ परिवार हैं. ये परिवार सिर्फ एक ही हैंडपंप के पानी पर आश्रित हैं. गांव वालों का कहना है कि जब कभी हैंडपंप खराब हो जाता है, तो गांव के लोग मजबूरी में दूरदराज से नदी एवं नालों के दूषित पानी को लाकर उपयोग करते हैं. दूषित पानी के उपयोग से उन्हें संक्रमित बीमारियों का भी खतरा बना रहता है.
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