Water Crisis in Barwani: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के बड़वानी के अंजड़ से लगे छोटा बड़दा पुनर्वास (Barda Rehabilitation) स्थल में लोगों के घरों में लगे नलों में पानी नहीं आ रहा है. इससे लोग यहां बसने के लगभग 17 साल बाद भी आज तक जल संकट से जूझ रहे हैं. सुबह उठते ही लोग सारा काम-धाम छोड़कर लगभग दो किमी दूर अंजड नगर परिषद की पेयजल लाइन के एयर वाल्ब से निकलकर नाले में जाने वाले पानी से अपनी प्यास बुझाने के लिए जाते हैं. सबसे ज्यादा परेशानी दैनिक मजदूरों और किसानों की हो रही है. उनका आधे से अधिक समय पानी की व्यवस्था करने में लग जाता है. बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक, सभी पानी की व्यवस्था करने में जुटे रहते हैं. लोग कई बार पानी की व्यवस्था करने की मांग कर चुके हैं, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं.
घर से दो किमी दूर आकर पानी भरकर ले जाते हैं बड़दा के लोग
बड़दा पुनर्वास के लोगों की समस्या
बड़दा पुनर्वास में रहने वाले लोगों ने बताया, 'नर्मदा नदी से डुब प्रभावित बताकर लगभग 17 साल पहले हमें संपूर्ण सुरक्षित व सर्वसुविधायुक्त पुनर्वास स्थल पर प्लॉट आवंटित कर मकान बनाकर रहने के लिए दिए गए थे. मूल गांव से लगभग सभी लोग पुनर्वास में रहने के लिए आ चुके हैं. पुनर्वास की जल व्यवस्था एनवीडीए के पीएचई विभाग के जिम्मे हैं. दतवाड़ा पाइप लाइन के जरिए नर्मदा का पानी पुनर्वास स्थल में बनी टंकी तक लाया जाता है. इसके अलावा, पुनर्वास स्थल की निचली बस्ती में दो ट्यूबवेल हैं, लेकिन दोनों बंद पड़े हैं.'
पाइपलाइन होने के बावजूद घर से दूर आना पड़ता है पानी भरने
ग्रामीणों ने बताया कि पुनर्वास स्थल पर विभाग द्वारा डाली गई पाइप लाइन व्यवस्थित नहीं है. लगभग आधे से ज्यादा घरों तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है. पुनर्वास स्थल के शुरुआत में गायत्री मंदिर के सामने जल वितरण के लिए बनाई गई करीब 1 लाख 80 हजार लीटर पानी की क्षमता वाली टंकी से पानी का वितरण किया जा रहा है. टंकी भरने के बाद महज एक घंटे में ही इसका पानी खत्म हो जाता है. टंकी के आसपास के क्षेत्र के 150 से 200 परिवारों तक ही पानी पहुंच पा रहा है. जबकि, पुनर्वास क्षेत्र के मध्य व अंत में डाली गई पाइप लाइन पूरी तरह से सूखी हुई है.
एयर वाल्ब के भरोसे 300 परिवार
सुबह होते ही छोटा बड़दा पुनर्वास स्थल के लगभग 300 परिवारों के लोग पुनर्वास स्थल के मध्य स्थित मोहीपुरा रोड पर अंजड़ फिल्टर प्लांट की मुख्य पाइप लाइन में लगे एयर वाल्ब से अपनी प्यास बुझाने को मजबूर हैं. यहां महिलाएं, युवतियां और बुजुर्ग सहित पुरुष प्लास्टिक की कैन, बाल्टी और अन्य संसाधनों से पानी ढोकर काम चला रहे हैं. एयर वाल्ब से रहवासी हाथ ठेलों, बाइक व साइकिलों से पानी लाते हैं. इससे दैनिक मजदूरी करने वालों को अपनी मजदूरी छोड़कर पानी की व्यवस्था में समय व्यतीत करना पड़ रहा है.
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डूब प्रभावितों को कराया गया था पुनर्वास
ग्राम छोटा बड़दा का पुनर्वास स्थल काफी बडे क्षेत्र में फैला हुआ है. इसमें डूब प्रभावितों को 1032 प्लॉट वितरित किए गए हैं. इनमें से लगभग सभी परिवारों ने अपने मकान बना कर यहां बनाकर रहने आ गए हैं. साथ ही, यहां एक हाई स्कूल, एक मिडिल स्कूल, तीन प्राइमरी स्कूलों के अलावा दो आंगनवाड़ी संचालित हैं. इसमें सैकड़ों विद्यार्थी पढ़ने आते हैं, लेकिन पानी की कमी होने से स्कूल के विद्यार्थियों को भी घर से बॉटल में पानी लेकर आना पड़ता है.
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