Water Crisis : जल जीवन मिशन में बड़ी लापरवाही सामने आई है. मध्य प्रदेश के अशोकनगर में नल जल योजना वर्षों बाद भी अधूरी नजर आ रही है. इसको लेकर मंगलवार को जनपद सीईओ और पीएचई के अधिकारियों ने सामुदायिक भवन में निर्माण एजेंसी व सरपंचों की बैठक आयोजित की गई. अधिकारियों ने जानना चाहा कि आखिर तीन साल से अधिक समय बीत जाने के बबाजूद यह योजनाएं चालू क्यों नहीं हो सकी है, तो बैठक में बड़ा चौकाने वाला मामला सामने आया. इस बीच ठेकेदारों का कहना था कि योजना पूरी तरह से कम्पलीट है, जबकि सरपंचों का कहना है कि अभी काफी काम बाकी है, और जबरन हैंडओवर का दबाव बनाया जा रहा है. वहीं, निर्माण एजेंसी के प्रतिनिधियों ने कहा कि जो भी होना था, हो गया. अब कोई काम नहीं करेंगे.
कुल 42 योजनाएं स्वीकृत हुई थीं
यदि नलजल योजना के बारे में देखा जाए, तो पीएचई से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार ब्लॉक में कुल 42 योजनाएं स्वीकृत हुई थीं, जिनमे से 27 कंपलीट हैं, और पंचायतों को हैंडओवर कर दी गई हैं. 15 जो अभी तक कंप्लीट नहीं हो पाई है, उनके ठेकेदारों को और सरपंचों की बैठक आयोजित की गई थी.
सरपंच बोले-चालू होने से पहले ही सड़ गई केसिंग
बैठक में शामिल होने पहुंचे गुन्हेरू ग्राम पंचायत के सरपंच राजकुमार यादव ने बताया कि तीन साल से नलजल योजना का काम चल रहा है. लेकिन आज तक चालू नहीं हुई है. ठेकेदार के साइट इंचार्ज से बात करो, तो अनावश्यक बातचीत की जाती है, जबकि योजना चालू होने से पहले ही बोर की केसिंग सड़ गई. लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं जा रहा, जिससे बोर खराब होने का खतरा भी है.
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जनपद अध्यक्ष के ग्रह ग्राम में अधूरी योजना
ग्रामीण क्षेत्र में पानी की किल्लत को देखते हुए करोड़ों की लागत से नलजल योजना स्वीकृत की गई थी. लेकिन जिस कछुआ चाल से निर्माण कराया जा रहा है, उसका अंदाजा इससे ही लगाया जा सकता है कि जनपद अध्यक्ष के ग्रह ग्राम में ही यह योजना अभी तक पूरी नहीं हुई है.
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