Vidisha News: मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में शिक्षा विभाग की ऐसी तस्वीर निकलकर सामने आई है, जिसने बच्चों के भविष्य पर गंभीर रूप से सोचने को मजबूर कर दिया. जिस शिक्षा व्यवस्था पर अरबों रुपये हर वर्ष खर्च किए जाते हों, वो शिक्षा व्यवस्था आज भी वेंटिलेटर पर अपनी आखिरी सांसें गिन रही है. विदिशा में एक-दो नहीं, बल्कि 701 स्कूल भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुके हैं. वहीं, 60 से ज्यादा स्कूल ढह चुके हैं. यह हम नहीं, बल्कि खुद शिक्षा विभाग कह रहा है. विदिशा जिले की तहसील सिरोंज ओर लटेरी क्षेत्र में तो हालात सबसे ज्यादा खराब हैं. इनमें सैकड़ों स्कूल भवन ही नहीं है. इस क्षेत्र में वर्षों से स्कूल या तो खुले आसमान में या फिर किसी पटेल के दहलान में संचालित हो रहे हैं.
ग्राम कटौतिया की रहने वाली तुलसा बाई बच्चों को स्कूल भेजने के नाम से नाराज हो जाती हैं. उल्टा मीडिया से सवाल पूछती हैं कि हम कैसे बच्चों को स्कूल पहुंचाएं. स्कूल तो गिर रहे हैं. नटेरन तहसील के सुरई मूडरा में तो 15 साल से ही स्कूल की बिल्डिंग नहीं है. ग्रामीण मांग कर रहे हैं, लेकिन मांग आज तक पूरी नहीं हुई है.
छत गिरने का सताता है डर
विदिशा के बरखेड़ा गंभीर हाई स्कूल में छत गिरने का डर बच्चों को हर वक्त सताता रहता है. वह हर दिन खौफ में पढ़ाई करना पड़ती है. यहां की टीचर बताते हैं कि पढ़ाई जारी रखनी है. इसलिए सभी बच्चों को एक कमरे में क्लास लगाना पड़ती है.
कक्षा 9वीं की छात्रा नैंसी यादव बताती हैं कि छत गिरने से एक ही कमरे में सभी क्लास लगती हैं. पढ़ाई में बहुत डिस्टर्ब होता है.
कई बार लिख चुके हैं खत
शिक्षक टीएस शर्मा ने बताया कि शिक्षा विभाग को नए भवन के लिए कई बार खत लिखकर दे चुके हैं, लेकिन भवन की स्वीकृति सरकार से आज तक नहीं हुई. गांव में स्कूल तो हाईस्कूल कर दिया गया है, लेकिन क्लास प्रथमिक शाला में लग रही है. हाईस्कूल के लिए कोई भवन ही नहीं है.
शिक्षा विभाग से मिली जानकारी
जिले में अब तक 701 स्कूल क्षतिग्रस्त हो चुके हैं. इनमें 67 स्कूल भवन पूरी तरह ढह चुके हैं. कई स्कूल पंचायत भवन, मंदिर, या खुले में संचालित किए जा रहे हैं. स्कूलों में शौचालय टूट गए और दीवारें गिर गईं हैं. फर्नीचर भी खराब हो गया है.
जिला शिक्षा विभाग अधिकारी राम कुमार ठाकुर ने बताया कि हमने क्षतिग्रस्त स्कूलों की मरम्मत के लिए अपने विभाग को ऊपर पत्र लिखा है, यह बात सही है कि जिले के अधिकतर प्रथमिक शालाएं पूरी तरह से जर्जर हैं. कुछ बहुत ज्यादा जर्जर हो गई हैं. इस वजह से हम लोग उन भवनों में स्कूल संचालित नहीं कर रहें. इसलिए किराए के भवन में स्कूल संचालित हो रहे हैं.