अदाणी फाउंडेशन की मदद से फायर फाइटर बनीं सिंगरौली की दो बेटी, छह माह की ट्रेनिंग हुई पूरी

Daughters Become Fire Fighters : मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले की दो बेटियां नागपुर स्थित भारतीय अग्निशमन संस्थान में छह महीने का फायर फाइटिंग प्रशिक्षण पूरा किया है. इन बेटियों ने अदाणी फाउंडेशन की मदद से ये ट्रेनिंग ली है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins

MP News In Hindi : सिंगरौली जिले की दो बेटियों ने नागपुर स्थित भारतीय अग्निशमन संस्थान में छह महीने का फायर फाइटिंग प्रशिक्षण पूरा कर लिया है. अब ये बेटियां अग्नि सुरक्षा के क्षेत्र में दक्ष बनेंगी. प्रदेश की इन बेटियों को ये ट्रेनिंग का मौका दिया है अदाणी फाउंडेशन ने. बेटियों का ये प्रशिक्षण इस बात का संकेत है कि बेटियां हर मोर्चे पर सक्षम बन सकती हैं.  बता दें, अदाणी फाउंडेशन ने ग्रामीण क्षेत्रों में लड़कियों को फायर फाइटिंग प्रशिक्षण देने के लिए एक अनोखी पहल की.

झलरी गांव कि हैं दोनों बेटियां 

इस पहल के तहत अदाणी फाउंडेशन ने परियोजना प्रभावित क्षेत्र- झलरी गांव की दो प्रतिभाशाली बालिका रेशमा सोनी और रविता शाह को चयनित किया. उनके माता-पिता से अनुमति प्राप्त करने के बाद, उन्हें नागपुर स्थित भारतीय अग्निशमन संस्थान में छह महीने का फायर फाइटिंग प्रशिक्षण दिलवाई.

मिल रहा आत्मनिर्भर बनने का अवसर

नियुक्ति से संबंधित प्रक्रिया को पूरा करने के बाद उन्हें सुलियरी खदान के फायर ब्रिगेड में शामिल कर लिया गया. इसके पीछे अदाणी फाउंडेशन का उद्देश्य ग्रामीण बालिकाओं को अग्नि सुरक्षा के क्षेत्र में दक्ष बनाने के साथ उन्हें आत्मनिर्भर बनने का अवसर भी प्रदान करना है.

संकट से मुकाबला करेंगी बेटियां 

 6 महीने के इस फायर फाइटिंग प्रशिक्षण कार्यक्रम को रेशमा और रवीता ने कड़ी मेहनत और लगन की बदौलत पूरा कर लिया. लेकिन, इस प्रशिक्षण ने उन्हें न सिर्फ शारीरिक और मानसिक रूप से सशक्त किया, बल्कि उन्हें संकट के समय अपनी काबिलियत दिखाने के लिए तैयार भी किया. नागपुर से फायर फाइटर की सफल प्रशिक्षण लेने के उपरांत घर लौटी  रेशमा और रविता ने समाज के समक्ष एक मिसाल पेश की हैं.

ये भी पढ़ें- अयोध्या और काशी में भी प्रयागराज महाकुंभ जैसे हालात, राम मंदिर ट्रस्ट को श्रद्धालुओं से करनी पड़ी अपील

Advertisement

अदाणी फाउंडेशन ने दिया बड़ा संदेश

गौरतलब है कि यह पहल अदाणी फाउंडेशन की सामाजिक जिम्मेदारी और महिलाओं के सशक्तिकरण के प्रति प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करती है. फाउंडेशन की इस पहल ने यह संदेश दिया कि ग्रामीण इलाकों में भी महिलाओं के लिए समान अवसर उपलब्ध हो सकते हैं, और वे किसी भी क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल कर सकती हैं. यह कदम महिलाओं को सशक्त बनाने के साथ-साथ समाज में उनके योगदान को भी बढ़ावा देता है. रेशमा और रवीता कि ये नई स्किल अन्य बेटियों को आत्मनिर्भर बनाने और कुछ बेहतर करने के लिए प्रेरित करेगी.

ये भी पढ़ें-  प्रयागराज महाकुंभ में मौनी अमावस्या पर मची भगदड़, कई लोग घायल, बचाव कार्य जारी