पता सब को है... फिर भी फंस रहे लोग ? अब एडवोकेट हुए डिजिटल अरेस्ट, जानें यहां 

सवाल उठता है कि इतनी जागरूकता होने के बाद भी लोग क्यों जालसाजों के झांसे में आ जाते हैं और डिजिटल अरेस्ट का शिकार हो जाते है. इस खबर में आप यही जानेंगे.

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पता होने के बाद भी क्यों फंस रहे लोग ? अब एडवोकेट हुए डिजिटल अरेस्ट, जानें यहां 

Digital Arrest : ग्वालियर में सायबर अपराधियों की हिम्मत अब इस कदर बढ़ चुकी है कि वे एडवोकेट को भी ठगी का शिकार बना रहे हैं. ठगों ने एक एडवोकेट को डिजिटल अरेस्ट के नाम पर डराकर एक वकील से 16 लाख रुपये ठग लिए. यह घटना 16 नवंबर की है लेकिन एडवोकेट ने इसकी शिकायत बीती रात सायबर थाने में की. एडवोकेट ने अपनी पहचान सामने न लाने की शर्त पर बताया कि एक ठग ने कूरियर बॉय बनकर उनसे संपर्क किया. ठग ने कहा, "मैं BHL कूरियर सर्विस कंपनी से बोल रहा हूं. सर आपके आधार कार्ड से बीजिंग के लिए एक पार्सल बुक किया गया है. इस पार्सल को कस्टम अधिकारियों ने पकड़ा है, जिसमें 400 ग्राम MD ड्रग्स, दर्जनभर डेबिट कार्ड और अन्य गैरकानूनी सामान मिला है.

इसके बाद एडवोकेट ने कहा, "मैंने कोई पार्सल बुक नहीं किया है."

तो ठग ने कहा, "आपके आधार कार्ड का मिस यूज़ हो रहा है. "

एडवोकेट ने कहा, "मुझे इस बारे में कुछ नहीं पता. "

ठग ने कहा, " आप पुलिस में इसकी शिकायत करिए. "

इससे पहले एडवोकेट कुछ समझ और बोल पाता

ठग ने कहा, " मैं आपकी कॉल को मुंबई क्राइम ब्रांच को ट्रांसफर का रहा हूँ. "

इसके बाद कॉल पर किसी दूसरे आदमी ने कहा, "मैं क्राइम ब्रांच से बात कर रहा हूँ. "

नकली क्राइम ब्रांच अधिकारी- " अभी सुरेश गोयल मनी लॉन्ड्रिंग का एक मामला है.... जो, उसमें छापा मारा गया है. इस रेड में हमें 247 डेबिट कार्ड मिले हैं जिनमें से एक कार्ड आपका है.

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एडवोकेट ने आगे वही बात कही, "मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. "

तो नकली क्राइम ब्रांच अधिकारी ने कहा, "इस केस में अब तक 47 लोग जेल जा चुके हैं. "

नकली क्राइम ब्रांच अधिकारी ने कहा, " अब तक आपकी बात क्राइम ब्रांच से हो रही थी.... अब CBI बात करेगी. "

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इसके बाद एडवोकेट की कॉल फिर से ट्रांसफर कर दी गई.

नकली CBI - " देखिए, आपके खिलाफ हमारे पास ठोस सबूत है, इन सबूतों के आधार पर आपके ऊपर दो दर्ज़न केस दर्ज हो सकते हैं. "

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एडवोकेट- "किस चीज़ के केस दर्ज हो सकते हैं? ? "

नकली CBI - " पूरा सुन लीजिए, आपका बैंक खाता भी सीज हो जाएगा. इसके लिए आपको नया बैंक एकाउंट खोलना चाहिए. "

ये बातें सुनकर एडवोकेट थोड़ा घबरा गया. इतनी सारी बाते और आरोप सुन कर उसे कुछ समझ नहीं आया. अभी कॉल कटी नहीं थी. एडवोकेट और नकली CBI कॉल पर ही थे... लेकिन एडवोकेट को नहीं मालूम था कि जिससे वो बात कर रहा था वो कोई CBI अधिकारी नहीं है बल्कि एक शातिर ठग है.

इसके बाद एडवोकेट ने कहा, "ठीक है. अगर ऐसा है, तो मैं अपना नया बैंक एकाउंट खुलवा लेता हूं. "

तब नकली CBI ने कहा, "आप कुछ मत करो? मैं खुद नया खाता खोलकर देता हूं. इसमें आपको पैसे जमा करने होंगे.

एडवोकेट ने पूछा, "कितन पैसे? "

नकली CBI ने कहा, " जो भी पैसे है उसे आप नए खाते में जमा कर देना. 15-16 लाख मानकर चलो. खाता आपका ही है. "

एडवोकेट ने सोचा मेरा ही नया अकॉउंट खुल रहा है. इसके बाद नकली CBI ने एडवोकेट को एक बैंक अकॉउंट की डिटेल्स शेयर की. एडवोकेट ने तुरंत 16 लाख ट्रांसफर कर दिए. एडवोकेट ने साइबर थाने में अपनी आपबीती बताते हुए कहा, "मुझे इतना डरा और धमका दिया गया था कि मैं वीडियो काल पर अरेस्ट रहा. इस बीच नेटवर्क प्रॉब्लम के चलते 2 बार मेरा कॉल डिस्कनेक्ट हुआ तो मुझे डांट-फटकार भी लगाई. " एडवोकेट ने कहा- मुझे कुछ सोचने-समझने का मौका तक नहीं दिया. इससे पहले मैं किसी से कुछ कह पाता... तब तक पैसे उड़ चुके थे.

बाद में हुआ ठगी का अहसास 

एडवोकेट ने इस ठगी के बाद अपने एक दोस्त को फोन करके सब कुछ बताया. तो दोस्त ने कहा- ऐसे कोई नया खाता नहीं खुलता. " तब जाकर एडवोकेट को अहसास हुआ कि उसके साथ ठगी हई है. जिसके बाद उन्होंने बीती रात सायबर थाने में शिकायत दर्ज कराई है. जानकारी के लिए बता दें कि डिजिटल अरेस्ट का मतलब है जब कोई धोखेबाज आपको ऑनलाइन फंसा लेता है. ये ठग फिर आपको फर्जी कहानी और झूठे डर दिखाकर ऐसे ब्लैकमेल करते हैं कि आपको शक भी नहीं होता है. मिसाल के तौर पर ये आपसे फोन पर कहेंगे कि आपके नाम पर ड्रग सप्लाई हो रही है. आपका बेटा रेप के केस में फंस गया है. आपका कोई करीबी तस्करी करते पकड़ा गया.... आदि.

लोग क्यों फंस जाते हैं ?

ताज़ा मामले में आपने देखा कि कैसे एक एडवोकेट को ठगों से शातिर तरीके से फंसा लिया. लेकिन सवाल उठता है कि इतनी जागरूकता होने के बाद भी लोग क्यों जालसाजों के झांसे में आ जाते हैं और डिजिटल अरेस्ट का शिकार हो जाते है. तो इसका जवाब है- ये ठग (जालसाज) बहुत चालाक होते हैं. ये बड़ी होशियारी से जाल बिछाते हैं. वे आपका भरोसा जीतने के लिए मीठी बातें करते हैं.  कभी-कभी सरकारी अधिकारी बनने का नाटक करते हैं. अक्सर लोग लोग डर या लालच में फंस जाते हैं. जैसे, "आपकी लॉटरी लगी है, " या "आपका बैंक अकाउंट बंद हो जाएगा. "

इसमें फंसने की एक बड़ी वजह होती है- जल्दबाजी... लोग जल्दी में सोचते नहीं और लिंक पर क्लिक कर देते हैं. जानकारी मांगने वालों को सच मान लेते हैं. लेकिन ये बात भी सच है कि जिस शख्स को तमाम तरह की झूठी कहानियां बताई जा रही हो... उसका डरना स्वाभाविक है. इससे बचने का यही तरीका है कि आप शांति से काम लें. अगर आपके पास इस तरह की कॉल आई है. तो अटेंड न करे. अगर फिर भी आपके मन में कोई सवाल है तो नज़दीकी साइबर थाने जाकर मामले की जानकरी दें और पता करें कि क्या वाकई आपके नाम पर कोई ऑनलाइन FIR दर्ज हुई है. हमेशा याद रखें सुरक्षा के लिए जागरूकता जरूरी है.

अगर फंस जाएं तो क्या करें ?

  • तुरंत साइबर क्राइम हेल्पलाइन (जैसे 1930) पर कॉल करें.
  • पुलिस में शिकायत करें.
  • अपने बैंक को तुरंत बताएं.

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